scriptबिना जरूरत हुई थी मशीन की खरीदी अब करोड़ों की मशीनें हुई कबाड़ | Misuse of government money, Crores of cars and machines become junk | Patrika News

बिना जरूरत हुई थी मशीन की खरीदी अब करोड़ों की मशीनें हुई कबाड़

locationरायपुरPublished: Oct 19, 2020 11:29:45 pm

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CG Desk

– सरकारी खजाने (Misuse of government money) की सफाई : बिना जरूरत हुई थी मशीन की खरीदी,कंडम होने के बाद फिर नई खरीदी। – इतनी मशीनों की खरीदी के बाद भी सभी नगरीय निकायों में सफाई व्यवस्था है ठेके पर।

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रायपुर। प्रदेश में सफाई के नाम पर शहरों की जगह सरकारी खजाने को साफ (Misuse of government money) किया जा रहा है। बिना जरूरत लाखों की मशीनें खरीदी जाती हैं फिर मेंटेनेंस के अभाव में उन्हें कबाड़ बना दिया जाता है। अधिकतर नगरीय निकाय सफाई में प्रयोग के लिए पहले मशीन खरीदते हैं फिर उनके उपयोग का आकलन करते हैं। इसका उदाहरण 63 लाख की स्वीपिंग मशीन। खरीदने के बाद बताया गया कि इन्हें चलाने का खर्च ज्यादा आ रहा है। अब बिना उपयोग के सभी जगह यह मशीन कबाड़ हो रही हैं। समय-समय पर और भी कई मशीनें खरीदी गईं अब ये निगम के वर्कशॉप में जंग खा रही हैं। हद तो यह है कि कई जगह हाथ रिक्शा की भी जो खरीदी हुई है, वह उपयोग लायक नहीं है। जगदलपुर में 50 ऐसे रिक्शे कबाड़ हो रहे हैं। रायपुर में जानबूझकर कंडम कर दिए गए वाहनों और मशीनों की फाइल तक निगम से गायब हो चुकी है।
रायपुर : चार करोड़ की मशीन कंडम, उपकरण गायब
रायपुर. नगर निगम द्वारा पिछले कुछ सालों में सफाई व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर संसाधन जुटाए गए। इनमें से अधिकतर अब कंडम हो गए हैं। आए दिन नए प्रयोग करने के बाद भी वार्डों की सफाई व्यवस्था नहीं सुधर रही है। सफाई व्यवस्था पर निगम हर साल पांच करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। इसमें रामकी कंपनी का ठेका, प्लेसमेंट कर्मचारी, निगम के सफाई कर्मचारी, डस्टबिन, हाथ ठेला, रिक्शा, ऑटो रिक्शा आदि शामिल है। निगम के वर्कशॉप में रखे-रखे करीब चार करोड़ के सफाई उपकरण कंडम हो गए। इसमें प्रमुख रूप से 15 साल पहले खरीदे गए रोड स्वीपिंग मशीन शामिल हैं। इस मशीन को नगर निगम ने 62-62 लाख रुपए में खरीदे थे। शुरुआत में दो-तीन बार ही सड़क पर मशीन उतरी, इसके बाद से वर्कशॉप में खड़े-खड़े कंडम हो गई।
दुर्ग : बिना उपयोग करोड़ों की मशीनें हो गई कबाड़
दुर्ग. नगर निगम ने शहर की सफाई के लिए जितनी मशीनें खरीदी गईं सब मेंटेनेंस नहीं होने से कबाड़ में बदल चुकी हैं। मशीनों की मामूली खराबी को सुधार कर चलाने की जगह कबाड़ बना दिया गया। सड़कों को धूल मुक्त बनाने के दावे के साथ 67 लाख से स्वीपिंग मशीन खरीदी गई थी। इससे महीनेभर भी सफाई नहीं हुई। सेग्रीगेशन एट द सोर्स के तहत जून 2017 में राज्य शासन द्वारा 55 लाख के 131 रिक्शे दिए गए थे। त्वरित सफाई के नाम पर 28 लाख से 3 वैक्यूम बेस्ड क्लीनिंग मशीन खरीदी गई थी। बिना उपयोग ये खराब हो रही हैं। पिछले दिनों निगम के ४० लाख का जेसीबी मशीन सिर्फ 2 लाख में बिक गया। दुर्ग के महापौर धीरज बाकलीवाल ने कहा कि मशीनों और वाहनों के मेंटेनेंस नहीं होने की शिकायत है। यह ठीक नहीं है। इस संबंध में मैंने अफसरों को निर्देश दिया है। इस पर आगे गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा।
बिलासपुर : लाखों की मशीनें खरीदीं फिर सफाई व्यवस्था ठेके पर
बिलासपुर. नगर निगम में सफाई के नाम पर लाखों की मशीनें खरीदने और सफाई व्यवस्था ठेके पर देने का सिलसिला लंबे समय से जारी है। तत्कालीन महापौर अशोक पिंगले के कार्यकाल में सफाई के लिए 100 रिक्शों की खरीदी हुई, कुछ दिन उपयोग के बाद किनारे कर दिया गया। उसी दौरान दो स्वीपिंग मशीन आई लेकिन इनका उपयोग शहर की सफाई में नहीं हुई। पंप हाउस में खड़ी रहीं। दोनों मशीनें पूरी तरह कंडम हो चुकी हैं। वहीं सन 2017-18में नगर निगम के अधिकारियों ने स्वीपिंग मशीन से सफाई के लिए डेढ़ करोड़ रुपए सालाना लागत पर आयन सर्विस कंपनी को ठेका दे दिया। कंपनी शहर के मुख्य मार्गों पर स्वीपिंग मशीन से सफाई कर रही है। शहर की सफाई का ठेका रामकी कंपनी के पास है। हर महीने 8 करोड़ रुपए सफाई ठेके पर खर्च हो रहा है।
जगदलपुर : करोड़ों के उपकरण का सुध नहींं ले रहा निगम
जगदलपुर. जगदलपुर नगर निगम में सफाई के लिए लाई गई स्वीपिंग मशीन पूरी तरह कंडम हो गई है। करीब 70 लाख की कीमत वाली यह मशीन कुछ दिन तो सड़कों की सफाई करती नजर आई, उसके बाद से पंप हाउस में जंग खा रही है। पिछले साल निगम ने वार्ड में कचरा उठाने हाथ चालित 50 रिक्शा खरीदे थे। पूरी तरह लोहे से बने ये रिक्शा भारी भरकम होने की वजह से अनुपयोगी साबित हुए। सफाई कर्मियों को वितरण करने के पहले ही इन्हे हटा दिया गया। वर्तमान में इनका नामोनिशान नहीं है। इसके बाद हाल ही में एक ऑटोमेटिक सीवरेज सफाई खरीदी गई। 50 लाख की कीमत वाली यह मशीन बिना ऑपरेटर के निगम परिसर में ही खड़ी हैं।
खुद का वर्कशॉप फिर भी मेंटेनेंस नहीं
सभी नगर निगम में वर्कशॉप हैं। इसके अलावा बेहद आवश्यकता होने पर एक्सपर्ट मेकेनिक व संबंधित कंपनियों के कर्मियों को भी बुलाकर मेंटेनेंस का प्रावधान है। ऐसे में निगम प्रशासन द्वारा मामूली खर्च कर खराब मशीनों व वाहनों को मेंटेनेंस कर उपयोग में लाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं कर वाहनों को खुले में खड़ा कर दिया जाता है। इनकी जगह फिर नई मशीनें व वाहनों की खरीदी कर ली जाती है।
शहर से लगे क्षेत्र की आदिवासी नाबालिग किशोरी के साथ सामूहिक गैंगरेप की घटना सामने आई है । मामले का खुलासा तब हुआ जब नाबालिक अस्पताल में नवजात को जन्म दिया । नाबालिग के परिजनों के अनुसार करीब 9 महीने पहले युवती अपने किसी रिश्तेदार के यहां शादी में गई हुई थी । इसी दौरान आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया । पुलिस ने इस मामले के खुलासे के बाद शनिवार को धारा 376 और पास्को एक्ट के तहत केस दर्ज किया और इस घटना में शामिल तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया । आपको बता दें कि बीते दिनों कोंडागांव जिले में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमें पीड़िता ने घटना के बाद खुदकुशी कर ली थी ।
इस पूरे मामले में बस्तर एसपी दीपक कुमार झा का कहना है कि पीड़िता अभी ज्यादा कुछ बता नहीं पा रही है शुरुआती बयान में उसने जिन तीन युवकों का नाम लिया है उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है अभी उनका शिनाख्त होना बाकी है । हालांकि एसपी ने गैंग रेप की बात से इंकार किया है । उनका कहना है कि शुरुआती पड़ताल में यह बात सामने आई है कि इन लोगों ने अलग-अलग समय पर पीड़ित के साथ बलात्कार किया है । जबकि पीड़ित के परिजनों का कहना है कि उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ है ।
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