रायपुर. नगर निगम द्वारा पिछले कुछ सालों में सफाई व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर संसाधन जुटाए गए। इनमें से अधिकतर अब कंडम हो गए हैं। आए दिन नए प्रयोग करने के बाद भी वार्डों की सफाई व्यवस्था नहीं सुधर रही है। सफाई व्यवस्था पर निगम हर साल पांच करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। इसमें रामकी कंपनी का ठेका, प्लेसमेंट कर्मचारी, निगम के सफाई कर्मचारी, डस्टबिन, हाथ ठेला, रिक्शा, ऑटो रिक्शा आदि शामिल है। निगम के वर्कशॉप में रखे-रखे करीब चार करोड़ के सफाई उपकरण कंडम हो गए। इसमें प्रमुख रूप से 15 साल पहले खरीदे गए रोड स्वीपिंग मशीन शामिल हैं। इस मशीन को नगर निगम ने 62-62 लाख रुपए में खरीदे थे। शुरुआत में दो-तीन बार ही सड़क पर मशीन उतरी, इसके बाद से वर्कशॉप में खड़े-खड़े कंडम हो गई।
दुर्ग : बिना उपयोग करोड़ों की मशीनें हो गई कबाड़
बिलासपुर. नगर निगम में सफाई के नाम पर लाखों की मशीनें खरीदने और सफाई व्यवस्था ठेके पर देने का सिलसिला लंबे समय से जारी है। तत्कालीन महापौर अशोक पिंगले के कार्यकाल में सफाई के लिए 100 रिक्शों की खरीदी हुई, कुछ दिन उपयोग के बाद किनारे कर दिया गया। उसी दौरान दो स्वीपिंग मशीन आई लेकिन इनका उपयोग शहर की सफाई में नहीं हुई। पंप हाउस में खड़ी रहीं। दोनों मशीनें पूरी तरह कंडम हो चुकी हैं। वहीं सन 2017-18में नगर निगम के अधिकारियों ने स्वीपिंग मशीन से सफाई के लिए डेढ़ करोड़ रुपए सालाना लागत पर आयन सर्विस कंपनी को ठेका दे दिया। कंपनी शहर के मुख्य मार्गों पर स्वीपिंग मशीन से सफाई कर रही है। शहर की सफाई का ठेका रामकी कंपनी के पास है। हर महीने 8 करोड़ रुपए सफाई ठेके पर खर्च हो रहा है।
जगदलपुर. जगदलपुर नगर निगम में सफाई के लिए लाई गई स्वीपिंग मशीन पूरी तरह कंडम हो गई है। करीब 70 लाख की कीमत वाली यह मशीन कुछ दिन तो सड़कों की सफाई करती नजर आई, उसके बाद से पंप हाउस में जंग खा रही है। पिछले साल निगम ने वार्ड में कचरा उठाने हाथ चालित 50 रिक्शा खरीदे थे। पूरी तरह लोहे से बने ये रिक्शा भारी भरकम होने की वजह से अनुपयोगी साबित हुए। सफाई कर्मियों को वितरण करने के पहले ही इन्हे हटा दिया गया। वर्तमान में इनका नामोनिशान नहीं है। इसके बाद हाल ही में एक ऑटोमेटिक सीवरेज सफाई खरीदी गई। 50 लाख की कीमत वाली यह मशीन बिना ऑपरेटर के निगम परिसर में ही खड़ी हैं।
सभी नगर निगम में वर्कशॉप हैं। इसके अलावा बेहद आवश्यकता होने पर एक्सपर्ट मेकेनिक व संबंधित कंपनियों के कर्मियों को भी बुलाकर मेंटेनेंस का प्रावधान है। ऐसे में निगम प्रशासन द्वारा मामूली खर्च कर खराब मशीनों व वाहनों को मेंटेनेंस कर उपयोग में लाया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं कर वाहनों को खुले में खड़ा कर दिया जाता है। इनकी जगह फिर नई मशीनें व वाहनों की खरीदी कर ली जाती है।