कुछ अस्पतालों के कर्मचारियों ने अमान्य मोबाइल नंबर लिखवाए हैं। फिलहाल, राजधानी के 7 निजी अस्पतालों के 92 कर्मचारियों के डुप्लीकेट मोबाइल नंबर मिले हैं। ‘पत्रिकाÓ ने डुप्लीकेट नंबरों की जांच-पड़ताल की तो कोई नंबर अस्पताल के संचालक, तो कोई अस्पताल के कैंटीन में काम करने वाले कर्मचारी तो कोई रिसेप्शन का निकला। एक अस्पताल का मोबाइल नंबर अमान्य था, जिसको करीब 12 लोगों ने वैक्सीनेशन फार्म में दर्ज किया है। यह राजधानी का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है। कोरोना वैक्सीन से बचने के लिए कर्मचारियों ने एक ही मोबाइल नंबर लिखवाया है ताकि उनके पास स्वास्थ्य विभाग का मैसेज न पहुंच सके।
हितग्राहियों को नहीं मिल पाता मैसेज समान मोबाइल नंबर होने की वजह से कोरोना वैक्सीनेशन कराने वाले हितग्राहियों को मैसेज नही मिल पाता है। शासन के कोविन ऐप में भी कर्मचारियों के डाटा की इंट्री नहीं हो पाती है। ऐसे कर्मचारियों की ट्रेकिंग करना भी मुश्किल होता है।
रायपुर सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने बताया कि वैक्सीन लगवाने बार-बार अपील के बाद भी नही पहुंच रहे हैं। किसी को जबरदस्ती वैक्सीन नही लगाया जा सकता है। जिन्होंने डुप्लीकेट नंबर दिए हैं, वह टीके से वंचित रह जाएंगे।
वैक्सीन का दूसरा डोज लगवाने पर ही होगा असर स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना का टीका लगवाने लोगों को आगे आने की अपील की है। राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर के मुताबिक, कोविड वैक्सीनेेशन के बाद अभी तक एईएफ आई के गंभीर प्रकरण सामने नहीं आए हैं, इसलिए लोगों को अपना नंबर आने पर वैक्सीन लगवाने आगे आना चाहिए। ठाकुर ने बताया कि जिन हेल्थ केयर वर्कर को कोविड-19 वैक्सीन लग चुकी है, उन्हे 28 दिनों बाद दूसरा डोज लगवाना है तभी वैक्सीन का अधिकतम प्रभाव होगा।