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दक्षिण पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon) छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में सक्रिय हो चुका है। ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित, बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, उत्तरी हरियाणा, चंडीगढ़ व उत्तरी पंजाब में कुछ हिस्सों में मानसून पहुंच गया है। वहीं मानसून की उत्तरी सीमा दीव, सूरत, नंदुरबार, भोपाल, नौगांव, हमीरपुर, बाराबंकी, बरेली, सहारनपुरए अंबाला व अमृतसर पहुंच चुका है।यह भी पढ़ें: 2 दिनों में पूरे प्रदेश में छाएगा मानसून, मध्य छत्तीसगढ़ में अति बारिश की चेतावनी
मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह के हालात देश में बने हुए है उसे देख कर लग रहा है कि दक्षिण पश्चिम मानसून के आगे बढऩे के लिए जो परिस्थितियां होनी चाहिए व मानसून के अनुकूल हैं। उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में चक्रवतीपरिसंचरण मध्य ट्रोपोस्फेरिक स्तर तक फैला हुआ है इससे पश्चिम बंगाल व उत्तरी ओडिशा के आसपास तटीय क्षेत्रों में दबाव बनने से चक्रवाती परिसंचरण मध्य ट्रोपोस्फेरिक स्तर पर उचाई पर होने से अगले 2 से 3 दिनों के अंदर ओडिसा, झारखंड और उत्तरी छत्तीसगढ़ में पश्चिम, उत्तर पश्चिम की ओर मानसून आसानी से बढ़ रहा है।यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ : सरकार के दावों की खुली पोल, मानसून सिर पर, बर्बादी की ओर करोड़ों के धान
मध्य पाकिस्तान में बनी हुई है द्रोणिका
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि एक द्रोणिका मध्य पाकिस्तान से बंगाल की उत्तर पश्चिम खाड़ी व पश्चिम बंगाल के आसपास के तटीय क्षेत्रों में सक्रिय है। इससे दक्षिण हरियाणा, दक्षिण उत्तर प्रदेश, उत्तर ओडिशा के बीच कम दबाव के क्षेत्र तक, पूर्वोत्तर मध्य प्रदेश, उत्तरी छत्तीसगढ़ व झारखंड होते हुए समुद्र तल से 1.5 किमी ऊंचाई तक स्थित है।