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तीन साल में लगाए 8 लाख से अधिक पौधे, देखरेख के अभाव में सिर्फ 70 फीसदी जिंदा

locationरायपुरPublished: Jul 16, 2020 07:07:58 pm

शहरी क्षेत्र में रोपे गए पौधों को बचाने में अफसर नाकाम

तीन साल में लगाए 8 लाख से अधिक पौधे, देखरेख के अभाव में सिर्फ 70 फीसदी जिंदा

तीन साल में लगाए 8 लाख से अधिक पौधे, देखरेख के अभाव में सिर्फ 70 फीसदी जिंदा

रायपुर. राजधानी रायपुर में हरियाली आए और पर्यावरण शुद्ध हो, इसलिए वन विभाग के अधिकारी हर वर्ष पौधरोपण करके पौधों को जीवित रखने के लिए लाखों रुपए खर्च करते हैं। लेकिन, विभागीय लापरवाही के चलते जिले में रोपित पौधे जिंदा नहीं बच पा रहे हैं।
पिछले ३ साल में वन विभाग ने लगभग 8 लाख 13 हजार पौधों का रोपण किया। ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़ दंे, तो शहरी क्षेत्रों में इन पौधों को बचाने में विभागीय अधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र में रोपित पौधे के 90 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 7० प्रतिशत पौधे बचे हंै। इस संबंध में पर्यावरणविदों का कहना है कि जिले में महज 1250 हेक्टेयर जंगल है, जबकि जिले का भू-भाग 2 लाख 91 हजार 437 हेक्टेयर है। विशेषज्ञों का कहना कि दस मीटर पर एक पेड़ होना चाहिए, लेकिन रायपुर में वर्तमान में 500 मीटर पर एक पेड़ है। इस हिसाब से 50 गुना कम पेड़ हैं।
यह है पौधरोपण का गणित

वन विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 2016 में 3 लाख 81 हजार पौधों का रोपण जिले में किया था। ये पौधे नवा रायपुर, श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी, आईटीएम, चंदखुरी पुलिस अकादमी, एमएम फन सिटी आदि जगहों पर लगाए थे। इनमें से 2 लाख 80 हजार पौधे जिंदा हंै। वर्ष 2017 में विभाग ने 3 लाख 23 हजार पौधे पलौद गांव, थनौद, पटेवा, आर्मी कैंप, सासाहोली और सरोरा में लगाए थे, जिनमें से 2 लाख 70 हजार पौधे बचे हैं। वर्ष 2018 में विभाग ने १ लाख नौ हजार पौधे वीआईपी रोड के दोनों किनारे करीब नौ किलोमीटर तक, मंत्रालय के सामने, रविशंकर विश्वविद्यालय और चंदखुरी स्थित पुलिस अकादमी में लगाए। इनमें करीब 29 हजार पौधे सूख गए।
इस साल 1 लाख 32 हजार पौधे रोपेंगे

वन विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 2020 में 1 लाख 32 हजार पौधों को रोपित करने और 5 लाख पौधों को बांटने का लक्ष्य रखा है। रोपित किए हुए पौधे को बचाए जा सके, इसलिए इस बार खारून नदी किनारे और मोहरंगा के जंगलों में पौधरोपण वन विभाग द्वारा किया जाएगा।
1 लाख 66 हजार पौधे मर गए

पिछले तीन साल में 8 लाख 13 हजार पौधे रोपित किए हैं। इनमें से वर्तमान में 6 लाख 44 हजार पौधे बचे हैं। विशेषज्ञ की मानें तो पौधरोपण के दौरान रोपित पौधों के 10 प्रतिशत पौधों को नष्ट होने वाली श्रेणी में डाल दिया जाता है। विगत तीन वर्षों के आंकड़े में लगभग 30 प्रतिशत का अंतर है।
एक्सपटर्् व्यू

पौधे रोपने के बाद वन विभाग के अधिकारी मॉनिटरिंग नहीं करते हैं, जिसका खमियाजा पौधों के साथ आम जनता को भी भुगतना पड़ता है। तीन वर्षों में जितनी बड़ी संख्या में पौधे नष्ट हुए, यदि वे पोधे जीवित होते तो बड़े होकर ४ करोड़ लीटर ऑक्सीजन प्रतिदिन देते। यह ऑक्सीजन 57 लाख लोगों के लिए पर्याप्त थी। वन विभाग के अधिकारियों को अपनी गलती से सबक लेना चाहिए और भविष्य में यह गलती नहीं दोहराना चाहिए।
प्रो. शम्स परवेज, पर्यावरणविद

रोपित पौधों को बचाया जा सके, इसलिए पूरा ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। इस वर्ष १ लाख ३२ हजार पौधे नदी किनारे और मोहरंगा के जंगलों में रोपित किया जा रहा है। ५ लाख पौधों को बांटने का हमने लक्ष्य रखा है। पौधे सुरक्षित रहंे, इसलिए कर्मचारियों की अस्थायी ड्यूटी लगाएंगे।
बीएस ठाकुर, डीएफओ, रायपुर

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