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प्रदेश के 9 लाख से अधिक एपीएल कार्ड हो सकते हैं रद्द, मंत्रिमंडल में हो चुकी है चर्चा

locationरायपुरPublished: May 31, 2020 10:26:34 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

सरकार ने नवंबर 2019 से एपीएल राशन कार्ड को चावल बांटने की योजना शुरू की थी। तब से कार्डधारियों को लगातार इसका लाभ मिल रहा था। कोरोना वायरस के कारण आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अब यह योजना बंद की जा सकती है।

जितेन दहिया@रायपुर. छत्तीसगढ़ के एपीएल कार्ड कुछ माह बाद रद्द किए जा सकते हैं। इससे 29 लाख 55 हजार 528 हितग्राहियों को राशन मिलना बंद हो जाएगा। प्रदेश में अब तक सामान्य वर्ग के 9 लाख 23 हजार 330 कार्ड बनाए गए हैं। गत दिनों मंत्रिमंडल की बैठक में इस विषय पर चर्चा भी हो चुकी है। सरकार ने नवंबर 2019 से एपीएल राशन कार्ड को चावल बांटने की योजना शुरू की थी। तब से कार्डधारियों को लगातार इसका लाभ मिल रहा था। कोरोना वायरस के कारण आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अब यह योजना बंद की जा सकती है।

इसके पहले भी सरकार कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा चुकी है। एपीएल कार्ड को बंद कर सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए योजना का विस्तार करने पर विचार कर रही है। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार ने सभी वर्गों के लोगों को राहत दे रही थी। एपीएल कार्डधारियों को पर्याप्त चावल महज १० रुपए में उपलब्ध कराया जा रहा था।

योजना का जमकर हो रहा दुरुपयोग

सरकार की ओर से कराई गई इंटरनल पड़ताल में यह जानकारी सामने आई है कि एपीएल राशनकार्ड के लिए जारी किए गए आवंटन में जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। खुले बजार में सरकारी चावल जमकर बेचा जा रहा है। इस कारण भी एपीएल कार्ड बंद किया जा सकता है।

बंद कर दिए गए नए कार्ड बनाने

पत्रिका को मिली जानकारी के मुताबिक 13 मई को हुए कैबिनेट की बैठक के बाद से नए राशन कार्ड बनाने की योजना बंद कर दी गई है। अभी प्रदेशभर में 19 हजार से ज्यादा आवेदन लंबित हैं, जिनका कार्ड नहीं बनाया जा रहा है।

भाजपा शासनकाल में बंद हो हुए थे एपीएल कार्ड

भाजपा शासकाल में 2015 में एपीएल राशन कार्ड बंद किए गए थे। इसके पीछे भी यही कारण बताया गया था कि एपीएल राशनकार्डधारी चावल का उठाव नहीं कर रहे थे। उनके हिस्से के चावल की कालाबाजार होती थी। एपीएल को आवंटित चावल को भारत सरकार की अनुमति बिना दालभात योजना समेत अनेक योजनाओं में खपाया जाता था।

अभी इस संबंध में राज्य शासन से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। इस पर जो भी निर्णय होगा, वह कैबिनेट में होगा। मैं अभी इसमें कुछ नहीं कह सकता।

-कमलप्रीत सिंह, सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम

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