इसके पहले भी सरकार कर्मचारियों की वार्षिक वेतन वृद्धि पर रोक लगा चुकी है। एपीएल कार्ड को बंद कर सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए योजना का विस्तार करने पर विचार कर रही है। उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान प्रदेश सरकार ने सभी वर्गों के लोगों को राहत दे रही थी। एपीएल कार्डधारियों को पर्याप्त चावल महज १० रुपए में उपलब्ध कराया जा रहा था।
योजना का जमकर हो रहा दुरुपयोग
सरकार की ओर से कराई गई इंटरनल पड़ताल में यह जानकारी सामने आई है कि एपीएल राशनकार्ड के लिए जारी किए गए आवंटन में जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। खुले बजार में सरकारी चावल जमकर बेचा जा रहा है। इस कारण भी एपीएल कार्ड बंद किया जा सकता है।
बंद कर दिए गए नए कार्ड बनाने
पत्रिका को मिली जानकारी के मुताबिक 13 मई को हुए कैबिनेट की बैठक के बाद से नए राशन कार्ड बनाने की योजना बंद कर दी गई है। अभी प्रदेशभर में 19 हजार से ज्यादा आवेदन लंबित हैं, जिनका कार्ड नहीं बनाया जा रहा है।
भाजपा शासनकाल में बंद हो हुए थे एपीएल कार्ड
भाजपा शासकाल में 2015 में एपीएल राशन कार्ड बंद किए गए थे। इसके पीछे भी यही कारण बताया गया था कि एपीएल राशनकार्डधारी चावल का उठाव नहीं कर रहे थे। उनके हिस्से के चावल की कालाबाजार होती थी। एपीएल को आवंटित चावल को भारत सरकार की अनुमति बिना दालभात योजना समेत अनेक योजनाओं में खपाया जाता था।
अभी इस संबंध में राज्य शासन से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। इस पर जो भी निर्णय होगा, वह कैबिनेट में होगा। मैं अभी इसमें कुछ नहीं कह सकता।
-कमलप्रीत सिंह, सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम