उनकी चीख-पुकार सुनकर रिश्तेदार बचाने दौड़े। किसी तरह आग को बुझाकर उसे अंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया। महिला ने अपने बयान में कुछ ग्रामीणों द्वारा सामाजिक बैठक करके दंडित करने और प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। साथ ही टोनही कहने का भी उल्लेख किया है।
बिसाहिन के रिश्तेदारों के मुताबिक करीब साल भर पहले उसके बेटे दशरथ ने दूसरी जाति की लड़की से विवाह कर लिया था। 6 माह बाद दशरथ अपनी पत्नी के साथ गांव आया, तो सामाजिक बैठक हुई, इसमें दशरथ को समाज से अलग किया गया। दशरथ गांव छोड़कर बाहर रहने लगा।
दिवाली के मौके पर वह गांव पहुंचा अैार अपने मां-बाप के घर में ठहरा। इससे नाराज गांव के कुछ लोगों ने 2 और 5 नवंबर को बैठक बुलाई। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। इससे परेशान बिसाहिन ने थाने में शिकायत कर दी। इसकी जानकारी मिलने पर 7 नवंबर को बैठक में बिसाहिन को दंडित करने का निर्णय हुआ। इससे वह परेशान थीं।
रायपुर धरसींवा के टीआई बर्नाड कुजूर ने कहा कि समाज से बहिष्कृत करने की शिकायत नहीं मिली थी, लेकिन उन्होंने जो शिकयत की थी, उसकी जांच की जा रही थी।