इस तरह आरोपियों ने सैकड़ों लोगों को पैसे लेकर सड्डू, लाभांडी और अन्य इलाकों में बने बीएसयूपी आवास आवंटित कर दिया है। इसकी जानकारी नगर निगम को नहीं है। उल्लेखनीय है कि आवास आवंटन घोटाला का खुलासा पत्रिका ने सबसे पहले अपने 10 नवंबर 2020 के अंक में किया था।
बेफिक्र बेच रहे थे आवास
आरोपी बीएसयूपी के आवास को बेफिक्र होकर लोगों को बेच रहे थे और आवंटन सूची जारी करते थे। आरोपी सुनील नायक और उसकी पत्नी एक नेता का नाम लेकर भी लोगों को झांसे में लेते थे और सबको नगर निगम के अधिकारियों के कहने पर आवंटन करना बताते थे। कई जगह, तो खुद को ही नगर निगम का अधिकारी बता देते थे। यही वजह है कि लोगों आसानी से भरोसा हो जाता था।
चार साल पहले भी कर चुके हैं घोटाला
चार साल पहले जोन-7 के तहत आने वाले बीएसयूपी आवासों को भी इसी तरह आवंटित कर दिया गया था और 100 से अधिक लोगों को मकान दिया गया था। इस मामले में शामिल कई लोगों का अब तक पता नहीं चल पाया है। अब जोन-4 में भी इसी तरह का घोटाला सामने आया है, तो नगर निगम में हड़कंप मच गया है।
चार साल पहले जोन-7 के तहत आने वाले बीएसयूपी आवासों को भी इसी तरह आवंटित कर दिया गया था और 100 से अधिक लोगों को मकान दिया गया था। इस मामले में शामिल कई लोगों का अब तक पता नहीं चल पाया है। अब जोन-4 में भी इसी तरह का घोटाला सामने आया है, तो नगर निगम में हड़कंप मच गया है।
नहीं होती निगरानी
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शहर के आउटर में सैकड़ों आवास बनाए जा रहे हैं। इन्हें आवंटन करने की पूरी प्रक्रिया संबंधित जोन कार्यालयों में होती है। लेकिन आवंटन के बाद निगम के अधिकारी इन कॉलोनियों में झांकने तक नहीं जाते और यह भी जांच नहीं करते है कि आवास का आवंटन पात्र हितग्राही को ही हुआ है। कई आवासों में लोग अवैध कब्जा करके रह रहे हैं। उनकी जांच भी नहीं करते हैं। यही वजह है कि आउटर में इन आवासों को बेचने का खेल चल पड़ा है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए शहर के आउटर में सैकड़ों आवास बनाए जा रहे हैं। इन्हें आवंटन करने की पूरी प्रक्रिया संबंधित जोन कार्यालयों में होती है। लेकिन आवंटन के बाद निगम के अधिकारी इन कॉलोनियों में झांकने तक नहीं जाते और यह भी जांच नहीं करते है कि आवास का आवंटन पात्र हितग्राही को ही हुआ है। कई आवासों में लोग अवैध कब्जा करके रह रहे हैं। उनकी जांच भी नहीं करते हैं। यही वजह है कि आउटर में इन आवासों को बेचने का खेल चल पड़ा है।
क्या था मामला
जोन-4 के बीएसयूपी आवासों का पिछले साल नगर निगम के इंजीनियर निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान मकान के दरवाजे पर आवंटन पत्र चस्पा मिला। यह देखकर इंजीनियर चौंक गए। उन्होंने 32 आवासों के आवंटन सूची की निगम में जांच की, तब खुलासा हुआ कि इन आवासों को किसी को आवंटित नहीं किया गया है। साथ ही आवंटन पत्र में तत्कालीन जोन कमिश्नर चंदन शर्मा के हस्ताक्षर और सील फर्जी हैं। इसके बाद निगम ने आवंटन पाने वालों को नोटिस देते हुए उनके खिलाफ थाने में शिकायत की। इसके खिलाफ आवास पाने वालों ने हाईकोर्ट में मामला दायर किया। कोर्ट ने निगम को मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद नगर निगम ने मामले की जांच की। और आरोपियों के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। फिलहाल पुलिस मामले के अन्य आरोपियों की तलाश में लगी है।
जोन-4 के बीएसयूपी आवासों का पिछले साल नगर निगम के इंजीनियर निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान मकान के दरवाजे पर आवंटन पत्र चस्पा मिला। यह देखकर इंजीनियर चौंक गए। उन्होंने 32 आवासों के आवंटन सूची की निगम में जांच की, तब खुलासा हुआ कि इन आवासों को किसी को आवंटित नहीं किया गया है। साथ ही आवंटन पत्र में तत्कालीन जोन कमिश्नर चंदन शर्मा के हस्ताक्षर और सील फर्जी हैं। इसके बाद निगम ने आवंटन पाने वालों को नोटिस देते हुए उनके खिलाफ थाने में शिकायत की। इसके खिलाफ आवास पाने वालों ने हाईकोर्ट में मामला दायर किया। कोर्ट ने निगम को मामले की जांच के बाद उचित कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद नगर निगम ने मामले की जांच की। और आरोपियों के खिलाफ कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। फिलहाल पुलिस मामले के अन्य आरोपियों की तलाश में लगी है।
नगर निगम की ओर से मिली शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। एक आरोपी को जेल भेजा गया है। अन्य की तलाश की जा रही है।
– अंजनेय वाष्र्णेय, प्रशिक्षु आईपीएस व सीएसपी, कोतवाली
– अंजनेय वाष्र्णेय, प्रशिक्षु आईपीएस व सीएसपी, कोतवाली