रायपुर

बृहस्पति ने बदली चाल और इन 5 राशियों पर होगा सीधा असर, जानें शुभ होगा या अशुभ

तुला राशि में स्थित देवगुरु बृहस्पति ने अपनी चाल बदल दी है। इन 5 राशियों पर इसका सीधा प्रभाव दिखेगा। जानें शुभ होगा या अशुभ।

रायपुरApr 26, 2018 / 08:20 pm

Ashish Gupta

बृहस्पति ने बदली चाल और इन 5 राशियों पर होगा सीधा असर, जानें शुभ होगा या अशुभ

रायपुर . तुला राशि में स्थित देवगुरु बृहस्पति ने अपनी चाल बदल दी है। देवगुरु दो महीने और 12 दिन तक वक्री रहेंगे। इसके बाद 10 जुलाई को मार्गी होंगे। ज्योतिषियों के मुताबिक बृहस्पति की चाल में यह परिवर्तन लोगों पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। हालांकि इसी बीच 14 मई तक बृहस्पति और आदित्य गुरु शुक्र आपस में षडाष्टक योग भी तैयार करेंगे। इस योग से मौसम परिवर्तन के संकेत बनेंगे और भीषण गर्मी के योग बनेंगे।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि षडाष्टक योग हमेशा कष्टकारी नहीं होते। भीषण गर्मी के बाद इस योग के प्रभाव से बेहतर बारिश के संयोग भी बन रहे हैं। ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि जब गुरु वक्री होता है तो बुद्धिजीवी पर थोड़ा विपरीत प्रभाव डालता है। उन्होंने बताया कि ग्रहों का वक्री होना हमेशा नुकसान दायक नहीं होता, कई बार इसके प्रभाव से भाग्य भी चमक उठता है।
मंगल: मंगल पुरुषत्व का ग्रह है इसलिए यह व्यक्ति के ताकत, शक्ति , उत्साह, स्त्रियों के प्रति आकर्षण, झुकाव एवं विवाह के प्रति रुझान के बारे में कथन देता है। जब मंगल वक्री होता है तब पुरुष सगाई, विवाह या अपने जीवनसाथी के प्रति गलत निर्णय ले बैठते हैं।
बुध: बुध का संबंध बौद्धिक क्षमता, विचार, निर्णय लेने की क्षमता, लेखन, व्यापार आदि से होता है। इसलिए बुध जब वक्री हो तो व्यक्ति को शांति से काम लेना चाहिए। इस दौरान अति उत्साह में आकर कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, क्योंकि वक्री बुध अकसर गलत निर्णय करवा बैठता है।
बृहस्पति: बृहस्पति का वक्री होना अत्यंत शुभ माना गया है। इससे व्यक्ति का भाग्य चमकता है। बृहस्पति जिस भाव में वक्री होता है उस भाव के फलादेश में अनुकूल परिवर्तन आते हैं। इस दौरान व्यक्ति अपने परिवार, देश, संतान, जिम्मेदारियों और धर्म के प्रति अधिक संवेदनशील और चिंतित होकर शुभ कार्यों में प्रवृत्त हो जाता है।
शुक्र: ज्योतिषियों का कहना है कि शुक्र के वक्री होने पर स्त्रियों के मन में दबी भावनाएं बाहर आने लगती हैं। पुरुषों की कुंडली में शुक्र वक्री हो और गोचर में वक्री हो तो उनमें भी यौन इच्छाएं तीव्र हो जाती हैं।
शनि: शनि के वक्रत्व को लेकर भारतीय और विदेशी ज्योतिषियों में कुछ बातों पर मतभेद है। कुछ भारतीय ज्योतिषियों का मत है कि शनि का वक्री होना दुर्घटनाएं, धन हानि करवाता है। जबकि इससे उलट विदेशी विद्वान मानते हैं कि शनि के वक्री होने पर व्यक्ति को परेशानियों से राहत मिलती है।

कैसे होते हैं ग्रह वक्री
ग्रहों के वक्री होने का अर्थ उनका उल्टा चलने से लगाया जाता है, लेकिन यह सही नहीं है। कोई भी ग्रह अपने परिभ्रमण पथ पर कभी उल्टा या पीछे की ओर नहीं चलता। ग्रह जब सूर्य या पृथ्वी से तुलनात्मक निकट आ जाता है तो उसकी गति तेज हो जाती है तो उसे अतिचारी और जब दूर रहता है तो उसकी गति धीमी हो जाती है। इसे वक्री कहते हैं। इस स्थिति को वक्री कहते हैं। वहीं जब वह ग्रह वापस अपनी मूल गति में आता है तो उसे मार्गी कहा जाता है।

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