भांगपुर भी था एक नाम क्योंकि यहां के लोग भंगेड़ी थे यहां 22 तालाब हैं और 40 टीले। किवंदती का उल्लेख करते हुए इतिहासकार प्यारेलाल गुप्त के हवाले से कहा कि एक तालाब ऐसा भी था जिसके बारे में कहा जाता था कि उसमें नहाने या पानी पीने से गांजा का नशा होता था। यह प्राचीन छत्तीसगढ़ के गढ़ों में से एक है। इसका पुराना नामा भांगपुर भी था। यहां के लोग भंगेड़ी और राजा की चिंता किए बिना व्यापार करते थे। यहां सब्जी और मिठाई भी 2 पैसे में बिका करती थी। वहीं डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र के शब्दों में यह बात तो पुरातत्वेद ही जाने पर इसमें कोई संदेह नहीं कि भांगपुर पाटन एक उल्टा गढ़ था जो अंधेर नगरी के लिए मशहूर था। यानी अंधेर नगरी अनबुझ राजा, टका सेर भाजी टका सार खाजा।
श्रीलंका से वापसी पाटन होकर पद्मश्री अरुण शर्मा के हवाले से कहा कि पाटन प्राचीन व्यापारिक केंद्र था। लोग कटक और बस्तर यहां से होकर जाते थे। जब लोग अयोध्या से श्रीलंका जाया करते थे तो वापस पाटन होते हुए आते थे।
