रैपिड रिस्पांस टीम कर चुकी जांच
जिले के जंगल सफारी (jungle safari raipur) और नंदनवन (Nandanvan raipur) स्थित पक्षी विहार में जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई रैपिड रिस्पांस टीम पिछले दिनों जांच कर चुकी है। रैपिड रिस्पांस टीम ने ही पक्षी विहार को 25 जनवरी तक बंद रखने का निर्देश विहार के जिम्मेदारों को दिया है। रैपिड रिस्पांस टीम और पक्षी विहार के अधिकारियों का अनुमान है, कि विहार बंद होने से पर्यटक पक्षियों के संपर्क में नहीं आएगा, तो संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा। पक्षियों की डाइट चार्ट के साथ दवा की मात्रा को रुटीन में अधिकारियों के निर्देश पर कर्मचारियों ने शामिल किया है।
जिले के जंगल सफारी (jungle safari raipur) और नंदनवन (Nandanvan raipur) स्थित पक्षी विहार में जिला प्रशासन द्वारा बनाई गई रैपिड रिस्पांस टीम पिछले दिनों जांच कर चुकी है। रैपिड रिस्पांस टीम ने ही पक्षी विहार को 25 जनवरी तक बंद रखने का निर्देश विहार के जिम्मेदारों को दिया है। रैपिड रिस्पांस टीम और पक्षी विहार के अधिकारियों का अनुमान है, कि विहार बंद होने से पर्यटक पक्षियों के संपर्क में नहीं आएगा, तो संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा। पक्षियों की डाइट चार्ट के साथ दवा की मात्रा को रुटीन में अधिकारियों के निर्देश पर कर्मचारियों ने शामिल किया है।
350 से ज्यादा पक्षी
वन विभाग (Chhattisgarh Forest department) के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार नंदनवन पक्षी विहार में वर्तमान में अफ्रीकन ग्रे पेलिकन, ब्लैक श्वान, कारोलाइन डक, क्रस्टेड डक, सिल्वर फीजेंट, क्रेस्टेज वुड, लव बर्ड, जेब्रा फ्रिंज, ब्लयूरिंगनेट, गोल्डन फ्रीजेंट, लेडिज हेमरेस्ट, एमोजोन, ग्रे पैरेट, कोहिनूर, शुर्तरमुर्ग व मकाऊ पक्षी हैं।
वन विभाग (Chhattisgarh Forest department) के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार नंदनवन पक्षी विहार में वर्तमान में अफ्रीकन ग्रे पेलिकन, ब्लैक श्वान, कारोलाइन डक, क्रस्टेड डक, सिल्वर फीजेंट, क्रेस्टेज वुड, लव बर्ड, जेब्रा फ्रिंज, ब्लयूरिंगनेट, गोल्डन फ्रीजेंट, लेडिज हेमरेस्ट, एमोजोन, ग्रे पैरेट, कोहिनूर, शुर्तरमुर्ग व मकाऊ पक्षी हैं।
पक्षी विहार 25 जनवरी तक पर्यटकों के लिए बंद है। प्रवासी पक्षियों का संक्रमण विहार के पक्षियों को ना लगे, इसलिए बाड़े को ग्रीन नेट (Bird flu in chhattisgarh) से कवर किया गया है। पक्षियों के मूवमेंट पर नजर रखने के साथ ही, उन्हें दवा दी जा रही है।
– डॉ. राकेश वर्मा, चिकित्सक, वन विभाग
– डॉ. राकेश वर्मा, चिकित्सक, वन विभाग