2-3 दिसंबर की रात भोपाल गैस त्रासदी में करीब पांच लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी। इन लोगों की याद में हर साल 2 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। इतने सालों बाद आज भी पूरी दुनिया में इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदा के रूप में जाना जाता है। 1984 में घटित उस गैस त्रासदी के दौरान प्राण गंवाने वाले लोगों की याद में और हर व्यक्ति को प्रदूषण नियंत्रण कृत्यों के महत्व से अवगत कराने के लिए हर साल भारत में 2 दिसंबर का दिन राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में चिन्हित किया गया।
इस दिन को मनाने का उद्देश्य
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रदूषण को रोकने में मदद करने वाले कानूनों के बारे में जागरुक करना, औद्योगिक आपदाओं के प्रबंधन तथा नियंत्रण के प्रति जागरूकता फैलाना और औद्योगिक प्रक्रियाओं व मानवीय लापरवाही से पैदा प्रदूषण को रोकना है। देश के कई हिस्सों में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर जो विकराल स्थिति बनी हुई है, उसे कम करने के लिए इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
आपको बता दें कि आज भारत की 90% से अधिक आबादी ऐसी हवा में सांस ले रही है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानदंडों के मुताबिक असुरक्षित है। हवा को ज़हरीला बनाने में सल्फर और नाइट्रोजन की बड़ी भूमिका है। अगर बात वायु प्रदूषण की करें तो इस मामले में दिल्ली और इसके आसपास के शहरों के अतिरिक्त देश के तमाम महानगरों की हालत काफी खराब है। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे तटीय महानगरों में भी वायु प्रदूषण काफी चिंताजनक है।
वनों को नष्ट कर लकड़ी का उपयोग करना, पहाड़ों को काटकर रास्ते व रेल – लाईन बिछाना, अत्यधिक औधोगिकीकरण कर वायु तथा जल प्रदूषण करना। अत्यधिक शहरीकरण कर संसाधनों को प्राप्त करने हेतु प्रकृति की बलि चढ़ाना। ऐसे विभिन्न तरह के प्रकृति से छेड़छाड़ के स्वरूप का असर मानव पर पड़ चुका है। रोगों में वृद्धि होती जा रही है। प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
बस्तर में की जाती है प्रकृति पूजा
छत्तीसगढ़ का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर अपने प्राकृतिक खूबसूरती के लिए और यहां के आदिवासी रीति रिवाज परंपराओं के लिए पूरे देश में जाना जाता है। यहां रहने वाले आदिवासी सदियों से प्रकृति की पूजा करते आ रहे हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी परंपरा अनवरत चलती आ रही है। यहाँ के लोग कभी भी प्रकृति से छेड़छाड़ नहीं करते। इस वजह से यहाँ आपको ज्यादा प्रदूषण नहीं दिखाई देगा।
सरकार द्वारा उठाए जा रहे ये कदम
इस समस्या से निपटने के लिए भारत द्वारा कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। भारत सरकार मौजूदा परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों में संशोधन का मसौदा तैयार कर रही है और हालिया वर्षों में उसने वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन मानकों को काफी मजबूत किया है। भारत सरकार द्वारा वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अक्षय ऊर्जा का प्रसार करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और लाखों घरों में एलपीजी गैसों की आपूर्ति करना आदि जैसी रणनीतियां अपनाई जा रही हैं।