scriptबिलासपुर-सूरजपुर को नेशनल वाटर अवार्ड | National Water Award to Bilaspur-Surajpur | Patrika News

बिलासपुर-सूरजपुर को नेशनल वाटर अवार्ड

locationरायपुरPublished: Oct 29, 2020 07:20:38 pm

नदी-नालों के पुनरोद्धार में बिलासपुर और जल संरक्षण में सूरजपूर देश में अव्वल

बिलासपुर-सूरजपुर को नेशनल वाटर अवार्ड

बिलासपुर-सूरजपुर को नेशनल वाटर अवार्ड

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नरवा कार्यक्रम को केंद्र सरकार पुरस्कृत करेगी। दरअसल, नदी-नालों के पुनरोद्धार के लिए किए गए कार्यों के लिए बिलासपुर जिले और जल संरक्षण के कार्यों के लिए सूरजपुर जिले को जलशक्ति मंत्रालय की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ जिलों में प्रथम स्थान मिला है। दोनों जिलों को वर्ष 2019 का नेशनल वाटर अवार्ड प्रदान किया जाएगा। बिलासपुर को ईस्ट अण्डर रिवाइवल ऑफ रिवर कैटेगरी में और सूरजपुर को ईस्ट अण्डर वाटर कन्जर्वेशन कैटेगरी में पुरस्कार मिला है।
छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना का एक महत्वपूर्ण घटक नरवा कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी जिलों में बड़ी संख्या में नदी और नालों के संरक्षण और संवर्धन के कार्य किए जा रहे हैं। इससे पेयजल की उपलब्धता, सिंचाई साधनों का विकास, भू-जल के रिचार्ज के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया जीवन प्रदान हो रहा है।
बिलासपुर: इन कार्यों से मिला पुरस्कार

नरवा कार्यक्रम के तहत बिलासपुर जिले में विभिन्न नदियों एवं नालों में 47 स्ट्रक्चर्स का निर्माण कर 17.508 मिलियन घन मीटर जल भराव क्षमता का सृजन किया गया। इसके साथ 152 किलोमीटर लम्बाई तक नदियों एवं नालों में जलभराव सुनिश्चित किया गया। जिले में 49 लघु जलाशय योजनाएं निर्माणाधीन हैं जिनसे 48.53 मिलियन घन मीटर जल भराव क्षमता सृजित होगी। इससे 181 किमी लम्बी नदी एवं नालों में जल भराव होगा। कुल 1146.90 किलोमीटर नदी नालों का पुनरोद्धार जल संसाधन विभाग ने किया है।
सूरजपुर: इन कार्यों से मिला पुरस्कार

इसी तरह सूरजपुर जिले में जल संरक्षण और भूमिगत जल के स्तर को उठाने के लिए डबरी महाभियान कार्यक्रम चलाया गया। जिसमें हितग्राही मूलक डबरी, कूप के अलावा छोटे-बड़े नालों का चिन्हांकन कर उन्हें पुर्नजीवित करने के गैवियन, लुज बोल्डर चेक डेम, व्रश वुड जैसे संरचना का निर्माण किया गया। पिछले दो सालों में लगभग 7 हजार डबरी और 4200 कूप का निर्माण किया गया है। इसमें लगभग 18 हजार एकड़ भूमि सिंचित हुई और किसान साल भर में दो बार फसल लेने लगे हंै।
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