इससे सहायक आयुक्त ने परिजनों को एडमिशन कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन करीब 1 माह बितने के बावजूद बच्चो का एडमिशन दूसरे स्कूलों में करने के लिए कोई कारगर कदम नही उठाया गया। इससे नक्सल हिंसा पीड़ित सहित शहीद परिवार के बच्चे 1 माह से कलेक्टोरेट कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर है। इसके बावजूद बच्चो का एडमिशन नही हो पा रहा था। इससे शुक्रवार को बच्चे फिर से एडमिशन के लिए कलेक्टोरेट पहुचे थे। इसी दौरान डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल के बच्चों को बस्तर कमिश्नर से मुलाकात करते देख नक्सल हिंसा पीड़ित शहीद परिवार के बच्चों ने वहाँ पहुचकर बस्तर कमिश्नर को रोते हुए अपनी व्यक्तियों सुनाई।
इस पर बस्तर कमिश्नर ने कलेक्टर को जल्द इनका एडमिशन कराने के निर्देश दिए, उन्होंने बच्चो से कहा की अपने पढ़ाई को लेकर जिस तरह आप संजीदा दिखाई दे रहे है, उसी तरह अच्छे से पढ़कर उच्च पदों पर आसीन होकर देश और राज्य की सेवा कर अपने माता पिता का आप नाम रौशन कर सकते है। जिसके बाद बच्चो के चेहरे पर आई मुस्कान मानो जैसे उन्हें कोई बड़ा खजाना मिल गया हो।