उन्हें अपने इलाके के तेंदूपत्ता, वनोपज और लकड़ी ठेकेदारों से कम से कम 50 लाख रुपए तक जुटाने कहा गया है। 15 जून तक यह राशि एकत्रित करने के निर्देश दिए गए है। इसके इनपुट मिलने के बाद राज्य पुलिस ने निगरानी बढ़ा दी है। पत्ता तोड़ाई करने वाले फड़ मुंशी और ठेकेदारों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। साथ ही अंदरूनी इलाकों में फोर्स को लगातार सर्चिंग करने के निर्देश दिए गए है। बताया जाता है कि पिछले पखवाड़ेभर में तेंदूपत्ता एकत्रित करने वाले ठेकेदारों की धमकी मिली है। लेकिन, कारोबार प्रभावित होने और हमले की आशंका को देखते हुए वह सहमे हुए है। बता दें कि हर साल माओवादियों द्वारा ठेकेदारों से वसूली की जाती है। इसके एवज में वह संरक्षण देने के साथ ही काम करने की खुली छुट देते है।
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मजदूरों के सामने नक्सलियों ने जेसीबी में लगा दी आग, फिर कहा- चुपचाप चले जाओ वरना… आर्थिक स्थिति खराब मददगार के पकड़े जाने और फोर्स के दबाव के चलते लगातार माओवादी पिछले काफी समय से बैकफुट पर आ गए है। रसद से लेकर विस्फोटक और अन्य जरूरी सामनों की कमी देखने को मिल रही है। इसे पूरा करने के लिए हमले के बाद जवानों को हथियारों को लूटकर ले जाया जा रहा है। ऑपरेशन से जुड़े अफसरों ने बताया कि बारिश का मौसम शुरू होने के पहले बड़े माओवादी नेता सुरक्षित ठिकानों में चले जाते है। लेकिन जाने से पहले सारी व्यवस्था का बंटवारा कर दिया जाता है। बता दें कि मई और जून के मौसम में एरिया कमांडरों के कैडर विभाजन से लेकर इलाके का बंटवारा भी किया जाता है।
अंदरूनी इलाकों में सक्रिय
माओवादियों के दल अंदरूनी इलाकों में अपने संगठन को मजबूत करने के लिए सक्रिय हो गए है। इसके लिए संघम सदस्य से लेकर अग्रिम मोर्चे पर तैनात सभी को उनकी क्षमता के अनुसार काम सौंपा गया है। बता दें कि डेढ़ वर्ष पहले महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के दो युवकों को कांकेर पुलिस ने रकम के साथ पकड़ा था। जांच के दौरान इसे माओवादियों को दिए जाने की बात सामने आई थी।
पी सुंदरराज, डीआईजी पुलिस मुख्यालय का कहना है – माओवादी हर साल तेंदूपत्ता और लकड़ी ठेकेदारों से लाखों रूपए की वसूली करते है। इसे देखते हुए फोर्स को लगातार गतिविधियों पर निगाह रखने के निर्देश दिए गए है।