हमें चीनी सामानों का त्याग कर स्वदेशी अपनाना होगा
अब हमारी पीढ़ी इसे सिखना नहीं चाहती और अगर ऐसा हुआ तो यह कला भी विलुप्त हो जायेगी। हां, आगे आने वाली पीढ़ी इसे तस्वीरों व संग्रहालय में भी देख पायेगी। हम सभी करें भी तो क्या करें। जरूरत है सरकार और हमको इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाए जाए। हमें चीनी सामानों का त्याग कर स्वदेशी अपनाना होगा ताकि हम अपनी परंपरा को बचा पाए। कुम्हार का ठहरा हुआ चाक समाज के हर व्यक्ति से दीपावली पर मिट्टी के दीप के व्यापक प्रयोग करने की गुजारिश कर रहा है।
हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा
कुछ वर्ष पहले मिट्टी के बने घड़े, सुराही, कुल्हड़, बर्तन आदि का प्रयोग बहुत ज्यादा होता था, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे इनकी डिमांड खत्म होती जा रही है और प्लास्टिक जैसे खतरनाक तत्वों का प्रयोग धड़ल्ले से होता जा रहा है जो कैंसर जैसे विभिन्न बीमारियों का कारक है। हमें खुद जागरूक होना पड़ेगा और इन प्लास्टिक जैसे और भी खतरनाक तत्वों से बचना होगा। आइये इस दीपावली में हम सब अपनी परंपरा बचाने और स्वदेशी अपनाने का प्रण लें और एक नया भारत का निर्माण करें।