उल्लेखनीय है कि इस अस्पताल में इलाज कराने के लिए रोजाना धमतरी के अलावा कांकेर, केशकाल, गरियाबंद, बालोद, कोंडागांव, नारायणपुर आदि जिलों से बड़ी संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां की ओपोडी ४ सौ तक पहुंच गई है। मस्तिष्क के इलाज के लिए भी बड़ी संख्या में मरीज यहां आते हैंं, लेकिन उन्हें जांच और इलाज की सुविधा नहीं मिल पाती है, क्योंकि अस्पताल में न्यूरोलाजिस्ट ही नहीं हैं।
50 से अधिक आते हैं मरीज
अस्पताल के सूत्रों की माने तो यहां महीने में ५० से अधिक मस्तिष्क के बीमारी से संबंधित मरीज आ रहे हैं, जिसमें ज्यादातर को ट्यूटमर, बे्रन हेमरेज की शिकायत रहती है। इसके अलावा रोजाना सड़क दुर्घटनाएं भी होती है। ज्यादातर मामलों में सिर पर चोट लगी होती है, लेकिन इलाज के लिए न्यूरोलाजिस्ट नहीं होने के कारण उन्हें रिफर कर दिया।
नहीं करा पाते इलाज
डॉक्टरों की माने तो बे्रन हेमरेज और मस्तिष्क ट्यूमर का इलाज बहुत महंगा है। आपरेशान में ही दो से चार लाख रुपए खर्च हो जाता है। ट्यूमर से पीडि़त राजेन्द्र कुमार देवांगन ने बताया कि आपरेशन के लिए उसे रायपुर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। दूसरों से उधारी लेकर इलाज कराना पड़ा। जिला अस्पतला में न्यूरोलास्टि की सुविधा मिल जाती है, तो गरीब तबके के मरीजों का भी भला हो जाता।
डॉ पीसी ठाकुर, सिविल सर्जन जिला अस्पताल