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जानलेवा कोरोना वायरस से 7 लोगों की जान बचाकर दी नई जिंदगी

locationरायपुरPublished: Apr 08, 2020 06:18:15 pm

पहली शिफ्ट के चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ 14 दिन के क्वारंटाइन में

जानलेवा कोरोना वायरस से 7 लोगों की जान बचाकर दी नई जिंदगी

जानलेवा कोरोना वायरस से 7 लोगों की जान बचाकर दी नई जिंदगी

रायपुर. राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ ने मिलकर अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित 7 रोगियों को पूरी तरह से ठीक करके उनके परिवार के पास भेज दिया है। पहली शिफ्ट के चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ 14 दिन के क्वारंटाइन में हैं। आइसोलेशन वार्ड में वे अपने अनुभव खुद बयां कर रहे हैं-
बेटी से दूर रहना मुश्किल, लेकिन कर्तव्य पहले

नर्सिंग सुपरिटेंडेंट एम्स के असिस्टेंट शांति टोपो ने बताया कि आयुष भवन में कोरोना वायरस के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में कार्य करना एक अलग अनुभव रहा। हमारे लिए य़ह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। निश्चित तौर पर वैश्विक महामारी होने की वजह से एक भय के माहौल का निर्माण हुआ है किंतु आपसी तालमेल एवं एक-दूसरे को प्रेरित करते हुए हमने अपना कार्य किया। मैं निदेशक प्रो. डॉ. नितिन एम. नागरकर और चिकित्सा अधीक्षक प्रो. करन पीपरे का आभार प्रकट करती हूं कि उन्होंने हमें इस प्रकार का चुनौतीपूर्ण कार्य करने का अवसर दिया। घर में एक बेटी है। उसे छोड़कर रहना पड़ा। बच्ची से दूर रहना मुश्किल था मगर कर्तव्य प्रमुख होता है।
गर्भवती पत्नी से दूर रहने का दर्द, लेकिन कोरोना से था निपटना

एम्स वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी चिदंबर कुलकर्णी ने बताया कि कोरोना वायरस के वार्ड में मरीज को एडमिट करने से लेकर डिस्चार्ज तक सभी कार्य बड़ी सावधानी से करने पड़े। सुरक्षा कर्मियों, सफ ाई कर्मचारियों, हॉस्पिटल अटेंडेंट, नर्सिंग अधिकारियों, वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारियों एवं डॉक्टर्स को मिलाकर लगभग 60 कर्मचारियों की टीम ने लगातार प्रतिदिन 12-12 घंटे की पारी में पूरे हफ्ते काम किया। अब हम स्वयं को किसी प्रकार की भी चुनौती के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं। घर में पत्नी और बेटी है। पत्नी गर्भवती हैं। इस दौरान उनसे अलग रहने का दर्द था, मगर कोरोना वायरस की चुनौती से भी निपटना था। अब आत्मगौरव की अनुभूति हो रही है।
छुट्टी कैंसिल होने की सूचना पाते तुरंत लौटा एम्स

एम्स के सीनियर नर्सिंग ऑफि सर आशीष कुमार नागर ने बताया कि होली में राजस्थान अपने घर गया थे। तभी कोरोना वायरस की वजह से एम्स में सभी की छुट्टी कैंसिल होने की जानकारी मिली तो तुरंत एम्स आ गया। इसके बाद कोरोना वायरस के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगाई गई। 7 दिन लगातार ड्यूटी की। यह चुनौतीपूर्ण समय था क्योंकि घर से दूर रहकर कोरोना वायरस के मरीजों को ठीक करने की चुनौती थी। इस दौरान लगातार रोगियों की काउंसलिंग कर रहे थे। कुछ रोगी हायर फैसिलिटी की मांग कर रहे थे। उन्हें काउंसलिंग के माध्यम से एडजस्ट करने के लिए समझाना पड़ा। इन सात दिनों के दौरान घरवालों और सहकर्मियों का पूरा सहयोग मिला। परिवार में भाई, पापा-मम्मी, पत्नी और पुत्री हैं। इनसे दूर रहना वाकई मुश्किल था मगर अब बेहद खुश हूं।
बच्चों को छोडऩे में थोडी दिक्कत, लेकिन अब उतनी ही खुशी

एम्स के सीनियर नर्सिंग ऑफिसर विशोक एन ने बताया कि एम्स में कोरोना वायरस के जो रोगी एडमिट हुए वे सभी काफ ी नर्वस थे। इस बीमारी से मुकाबला करने के लिए उनको मनोवैज्ञानिक मदद देने की आवश्यकता थी। सभी रोगियों को निरंतर काउंसलिंग देना और उनका उत्साहवर्धन करना काफी चुनौतीपूर्ण था, मगर सभी ने इस कर्तव्य का निर्वहन किया। मेरे माता-पिता पहले से ही सरकारी सेवा में हैं और सरकारी सेवा की कर्तव्यपरायणता से भली-भांति परिचित हैं। उन्होंने खुद का ध्यान रखते हुए रोगियों की सेवा करने के लिए सदैव प्रेरित किया। परिवार में छोटा भाई और पापा-मम्मी हैं। इसके अलावा जुड़वां बच्चे पुत्र और पुत्री हैं।
आइसोलेशन से ज्यादा मुश्किल क्वारंटाइन पीरियड

एम्स के असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिटेंडेंट रविकिरन ताकसंडे ने बताया कि 7 दिन तक कोरोना वायरस के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी की मगर इससे ज्यादा मुश्किल है क्वारंटाइन पीरियड। अब बिल्कुल अकेले टाइम बिताना बड़ा मुश्किल लग रहा है। आइसोलेशन वार्ड में रोगियों के साथ और सहकर्मियों के साथ समय गुजर जाता था। अब अकेले समय काटना मुश्किल लगता है। पत्नी भी नर्सिंग स्टाफ में है। बेटी डेढ़ साल की है। आपस में काफ ी समन्वय होने की वजह से ज्यादा चुनौती नहीं मिली। ड्यूटी के दौरान प्रशासन ने पूरा सहयोग दिया। घर वाले निरंतर प्रोत्साहित करते रहेए जिससे इस वायरस का इलाज करने में काफ ी मदद मिली।
अपने कर्तव्यों पर खरा उतरना सबसे ज्यादा जरूरी

सीनियर नर्सिंग ऑफिसर एश्ले माइकल ने बताया कि मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती सहकर्मियों के मन में कोरोना वायरस के डर को दूर करने की थी। लगातार काउंसलिंग और वैज्ञानिक तथ्यों की मदद से मैंने इससे जुड़े मिथक को दूर करने की कोशिश की। इस दौरान परिजनों से पूरा सहयोग मिला। घर में पति है और तीन वर्षीय पुत्र। दोनों का काफ ी सहयोग मिला। अब परिजनों के साथ दोबारा रहने का अवसर मिलेगा, ऐसे में काफ ी संतुष्ट हूं। अपने कर्तव्य पर खरा उतरना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। यह हमारे नर्सिंग स्टाफ ने कर दिखाया।
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