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लंबी दूरी का रिजर्वेशन टिकट बेचने रेलवे का ये नया तरीका, यात्रियों की कट रही जेब

locationरायपुरPublished: Jul 04, 2021 06:14:56 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

कोरोनाकाल में रेलवे लंबी दूरी का रिजर्वेशन टिकट अधिक से अधिक बेचने के लिए फिक्स बर्थ कोटा को बढ़ाकर दोगुना से अधिक कर दिया है। इससे यात्रियों को दोहरी चपत लग रही है।

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लंबी दूरी का रिजर्वेशन टिकट बेचने रेलवे का ये नया तरीका, यात्रियों की कट रही जेब

रायपुर. कोरोनाकाल में रेलवे लंबी दूरी का रिजर्वेशन टिकट अधिक से अधिक बेचने के लिए फिक्स बर्थ कोटा को बढ़ाकर दोगुना से अधिक कर दिया है। इससे यात्रियों को दोहरी चपत लग रही है। पहला यह कि कंफर्म टिकट के लिए अधिक पैसा देना पड़ता है और दूसरा, स्पेशल ट्रेन के नाम पर जेब कट रही है, क्योंकि 100 से 150 रुपए तक अधिक किराया रेलवे ले रहा है।
फिक्स बर्थ कोटा बढ़ाने का मतलब साफ है कि सीधे तौर पर जिस स्टेशन से ट्रेन चलती है और जिस स्टेशन में समाप्त होती है, वहां तक का ज्यादा से ज्यादा टिकट बिके। ताकि रेलवे को फायदा हो। ऐसे में यदि आपको इलाहाबाद या बनारस तक ही जाना है तो दुर्ग से छपरा तक रिजर्वेशन टिकट लीजिए, तब हमेशा कंफर्म मिलेगा। वरना बीच के स्टेशनों का वेटिंग…।

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पहले ऐसा नहीं था। डिपॉर्चर स्टेशन से गंतव्य स्टेशन तक का बर्थ कोटा ट्रेनों में मामूली हुआ करता था। किसी में 70 से 80 तो किसी में 100 से 150 बर्थ तक। जिसे कोरोनाकाल में बढ़ाकर दोगुना से अधिक कर दिया गया है, ताकि यात्री कंफर्म टिकट के लिए भले ही कम दूरी तक सफर करें, लेकिन रेल किराया आखिरी स्टेशन तक दें। इसलिए यात्री टिकट कहीं से लेते हैं और बोर्डिंग जिस स्टेशन से ट्रेन में बैठते हैं वहां से। ऐसे में रेलवे दोहरा फायदा उठाता है। करंट टिकट के माध्यम से बोर्डिंग वाले स्टेशन तक का रिजर्वेशन टिकट रेलवे बेच लेता है।

ट्रेन में सफर करना महंगा
ट्रेन में सफर करना महंगा हुआ है। ट्रेनों में बिना कंफर्म टिकट यात्रा पर रोक लगी होने के कारण यात्री मजबूरन ज्यादा पैसा लेकर जिस स्टेशन तक का कंफर्म टिकट मिल जाए, वहां तक का लेना पड़ता है। भले ही बीच के स्टेशनों में उतना हो। ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो नहीं रहा है। इसलिए वेटिंग टिकट पर सफर कर नहीं सकते। दूसरी तरफ स्पेशल ट्रेन के नाम पर किसी भी ट्रेन में एक फेरे के लिए सौ से डेढ़ सौ रुपए अधिक देना पड़ता है। यानी दोनों तरफ से चपत लगने से यात्रियों की जेब कट रही है।

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वेटिंग तभी कंफर्म, जब फिक्स कोटा फुल न हो
पत्रिका पड़ताल में रेलवे के मुख्य रिजर्वेशन टिकट केंद्र से पता चला कि ट्रेनों का रिजर्वेशन टिकट क्रिस साफ्टवेयर के माध्यम से होता है, जो देश के सभी स्टेशनों के टिकट आरक्षण केंद्रों से जुड़ा होता है। फिक्स बर्थ कोटा की संख्या बढऩे के कारण चार्ट प्रिपेयर्ड होने से दो से तीन घंटा पहले तक डिपार्चर स्टेशन से आखिरी स्टेशन तक का रिजर्वेशन टिकट आसानी से कंफर्म मिल जाता है, परंतु बीच के स्टेशनों का महीना-पंद्रह दिन पहले से ही वेटिंग दिखाने लगता है। इनमें से कुछ वेटिंग तभी कंफर्म होती है, जब फिक्स कोटे की बर्थ खाली रह जाती है।

रेलवे सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर शिव प्रसाद पंवार ने कहा, कोरोनाकाल में लंबी दूरी के यात्रियों को कंफर्म टिकट की सुविधा मिल सके, इसलिए फिक्स बर्थ कोटे की संख्या बढ़ाई गई है। सीटें खाली होने पर रिजर्वेशन चार्ट बनने पर वेटिंग टिकट कंफर्म होते हैं। अभी ट्रेनों का परिचालन सामान्य नहीं हुआ है।

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जानिए, किस ट्रेन में आखिरी स्टेशन तक का कितना कोटा
सारनाथ स्पेशल ट्रेन – दुर्ग से छपरा का 347 बर्थ
साउथ बिहार स्पेशल – दुर्ग से राजेंद्रनगर 300 बर्थ
अमरकंटक स्पेशल – दुर्ग से सीधे भोपाल 264 बर्थ
नौतनवा स्पेशल – दुर्ग से सीधे मुजफ्फरपुर 200 बर्थ
संपर्क क्रांति स्पेशल – दुर्ग से सीधे नईदिल्ली 336 बर्थ
अजमेर स्पेशल – दुर्ग से सीधे अजमेर 275 बर्थ
गरीब रथ स्पेशल – रायपुर से सीधे लखनऊ 344 बर्थ

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