90 सदस्यों वाली विधानसभा में इतने नए लोगों की वजह से आशंकाएं उपजीं। राजनीतिक पंडितों को लगा कि विधानसभा और उसके बाहर नए चेहरों की राजनीतिक सक्रियता कम रहेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पहली बार चुनकर आए विधायकों में से अधिकतर चुप नहीं बैठे। सदन में भी आवाज उठाई और बाहर भी। भाजपा नेताओं की माने तो उनके नए विधायकों में से 30 प्रतिशत का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। वहीं कांग्रेस नेता अपने नए विधायकों में से 55 प्रतिशत को ए ग्रेड दे रहे हैं। बसपा के एकमात्र विधायक ने भी अच्छी छाप छोड़ी है।