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NIOS फर्जीवाड़ा: प्रश्नपत्र का पासवर्ड आता था डॉयरेक्टर के पास, जाता था दलालों तक

locationरायपुरPublished: Jan 19, 2018 03:01:00 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) में हुए फर्जीवाड़ा में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र ऑनलाइन आता था।

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NIOS फर्जीवाड़ा: प्रश्नपत्र का पासवर्ड आता था डॉयरेक्टर के पास, जाता था दलालों तक

रायपुर . नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) में हुए फर्जीवाड़ा में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र ऑनलाइन आता था।

इस प्रश्नपत्र को डाउनलोड करने के लिए रीजनल डॉयरेक्टर के मोबाइल पर पासवर्ड आता था। डॉयरेक्टर के मोबाइल में आए पासवर्ड फर्जीवाड़ा करने वालों तक पहुंच जाता था। पासवर्ड आरोपियों तक कैसे पहुंचता था। इसके लिए पुलिस को रीजनल डॉयरेक्टर के मोबाइल नंबर, ईमेल नंबर, कंप्यूटर की जांच करनी थी, लेकिन एेसा नहीं किया गया है। और न ही एनआईओएस के कार्यालय से विद्यार्थियों के रिकार्ड, कंप्यूटर व अन्य जानकारी ली गई। गुरुवार को पुलिस परीक्षा देने वाले की तलाश में लगी रही। मूल परीक्षार्थी दूसरे राज्यों के बताए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि शंकर नगर स्थित डाइट में एनआईओएस की ओर से 10-12वीं की परीक्षा में मूल विद्यार्थियों के स्थान पर दूसरे लोग परीक्षा दे रहे थे। उनको 500-500 रुपए देकर परीक्षा देने भेजा गया था। इसके पीछे राजस्थान के विनायक कोचिंग के संचालक मुकेश कुमार चौधरी, रायपुर स्थित एसएस कंसलटेंसी के बिहार के सचिन सिंह और उसका रिश्तेदार अनुज आर्या, डिग्री गल्र्स कॉलेज में पदस्थ स्पोर्ट्स टीचर वीकेश सिंह का हाथ है।
आरोपी एक गिरोह बनाकर छात्र-छात्राओं और युवाओं से 10 से 20 हजार रुपए लेकर उन्हें परीक्षा उतीर्ण कराते थे। उनके स्थान पर दूसरों से परीक्षा दिलवाते थे साथ ही उन्हे प्रश्नपत्र भी देते थे। आरोपी एनआईओएस के अधिकारियों-कर्मचारियों का सहयोग लेते थे।

परीक्षा कंट्रोलर गिरफ्तार
पुलिस ने 7 मुन्नाभाइयों के अलावा परीक्षा कंट्रोलर अरुण कुजूर को भी गिरफ्तार कर लिया। देर रात को एसएस कंसलटेंसी के अनुज को गिरफ्तार किया। वीकेश, मुकेश पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे। एसएस कंसलटेंसी का संचालक सचिन फरार है। सचिन एनआईओएस का कर्मचारी रह चुका है। सचिन और मुकेश विभिन्न कोचिंग सेंटर में आने वाले छात्र-छात्राओं को प्रलोभर देकर परीक्षा दिलवाते थे।

एेसे चलता था फर्जीवाड़ा
वीकेश मूल परीक्षार्थियों से 10वीं-12वीं उत्तीर्ण कराने का सौदा करता था। इसके पूरी तैयारी करके उनका प्रवेशपत्र निकाल लेते थे। उनके स्थान पर मुन्नाभाइयों का फोटो लगाकर उन्हें नकली प्रवेश देते थे। डाइट में जाकर मुन्नाभाई परीक्षा देते थे। कॉपी कोरी छोड़ देते थे। शाम को अरुण उत्तरपुस्तिका श्यामप्लाजा स्थित एसएस कंसलटेंसी और अन्य स्थानों पर पहुंचाता था। वहां सचिन व अनुज सभी मुन्नाभाइयों से उत्तर लिखवाते थे। प्रश्नों के उत्तर वाट्सएप के जरिए मुकेश भेजता था।

अटेंडेंस शीट की जांच करते थे डॉयरेक्टर
परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की अटेंडेंसशीट की जांच रीजनल डॉयरेक्टर एके भट्ट करना होता है। इस दौरान ही असली परीक्षार्थियों की पहचान हो जाती है, लेकिन पिछले दो दिन से परीक्षा हो रही थी और असली विद्यार्थियों के स्थान पर मुन्नाभाई परीक्षा दे रहे थे। इसके बावजूद उनकी पहचान नहीं हो पा रही थी। इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

डॉयरेक्टर को बनाया प्रार्थी
रीजनल डॉयरेक्टर की भूमिका भी संदेह के दायरे में हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें ही प्रार्थी बना दिया। इधर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग में फर्जीवाड़ा मामले की विभागीय जांच भी शुरू हो गई है।

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