दिन- 8 अक्टूबर, शाम 7:40 बजे – रेलवे प्रोटोकॉल के तहत मैं 7:40 मिनट पर जबलपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया। मध्यप्रदेश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशन में से एक रायपुर स्टेशन पर सन्नाटे जैसी ही स्थिति थी। कुछ यात्रा ही दिखाई दे रहे थे। अमरकटंक एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर आनी थी, तो प्लेटफॉर्म नंबर 1 से जाना होता है या फिर 7 से। प्लेटफॉर्म 1 पर रेलवे पुलिस ने स्कैन में सामान रखने को कहा। सामान एक तरफ से दूसरी तरफ निकल गया, जबकि मॉनीटर को देखने के बजाए, ये बात कर रहे थे। प्लेटफॉर्म 1 पर ही रेलवे के 2 कर्मचारी मॉस्क-ग्लब्स पहने हुए कुर्सी पर बैठे हुए थे। उन्होंने पूछा, कहां जाना है। मैंने बताया रायपुर। बोले- टिकट नंबर बताओ। गाड़ी प्लेटफॉर्म 5 पर आएगी। उनकी टेबल पर थर्मल स्क्रैनर रखा हुआ था। मगर, उन्होंने जांच नहीं की। कुछ देर रूककर मैंने देखा कि यह सिर्फ मेरे साथ ही किया है, या सभी के साथ। इन्होंने किसी भी यात्री की जांच नहीं की।
दिन- 9 अक्टूबर, सुबह 7:10 बजे – ट्रेन सुबह 7:10 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 1 पर लगी। मैं उतरकर बाहर की ओर चल पड़ा। यहां निकलने के लिए एक ही रास्ता है। जिसके दोनों तरफ वेरीकेटिंग है। कतार में ही निकलना होगा। यहां भी कुर्सी पर २ सफेद ड्रेस पहने रेलवे कर्मचारी बैठे। इनके पास भी थर्मल स्क्रैनर रखा हुआ था। मगर, इन्होंने भी किसी भी यात्री की जांच नहीं की। प्लेटफॉर्म के बाहर ऑटोवाले आगे-पीछे घूमने लगे। सोशल डिस्टेसिंग के नियम का कोई पालन नहीं हुआ। इनमें से कई तो मॉस्क तक नहीं लगाए हुए थे।
1 – ट्रेन आने के समय से 90 मिनट पर पहले स्टेशन पर पहुंचना होगा, ताकि थर्मल स्क्रीनिक की जा सके। बिना लक्षण वाले यात्रियों को ही यात्रा की इजाजत होगी। – यात्री पालन नहीं कर रहे, न करवाने के लिए कार्रवाई की जा रही है।
3- ट्रेन पर चढऩे उतरने के दौरान सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना जरूरी है। – कोई पालन नहीं।
आर. सुदर्शन, सीनियर डीसीएम, रायपुर रेल मंडल