scriptगांजे की खेती नहीं, फिर भी तस्करी में सिरमौर | No cultivation of cannabis in Chhattisgarh, Sirmaur in smuggling | Patrika News

गांजे की खेती नहीं, फिर भी तस्करी में सिरमौर

locationरायपुरPublished: Jun 16, 2022 11:16:07 pm

Submitted by:

Rajesh Lahoti

छत्तीसगढ़ : ओडिशा सीमा पर 47 जांच चौकियों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे

गांजे की खेती नहीं, फिर भी तस्करी में सिरमौर

गांजे की खेती नहीं, फिर भी तस्करी में सिरमौर

रायपुर. छत्तीसगढ़ में मादक पदार्थों की तस्करी काफी तेज है। काफी प्रयासों के बावजूद इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। अगर पिछले कुछ समय की बात करें तो ड्रग्स पैडलर के खिलाफ करीब 2615 केस दर्ज किए गए हैं, लेकिन इसमें अब तक केवल 17 मामलों में ही सजा हो पाई है, बाकी सभी विचाराधीन है। अब यदि गांजे की जब्ती और उससे जुड़े प्रकरणों पर नजर डालें तो आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता है। छत्तीसगढ़ में गांजे की खेती नहीं होती है, लेकिन जब्ती का रिकॉर्ड देखें तो पिछले कुछ समय में करीब आठ सौ क्विंटल गांजा जब्त किया गया है। ब्राउन शुगर और हेरोइन की जब्ती भी अच्छी-खासी हुई है।
अधिकारियों का कहना है कि वैसे तो छत्तीसगढ़ में हर तरह के ड्रग्स बिक रहे हैं। इनकी जब्ती के आंकड़े इनके तेजी से प्रसार की चेतावनी भी दे रहे हैं। गांजे के अलावा नशीले सीरप, ड्रग्स की टेबलेट, ब्राउन शुगर, अफीम, नशीले कैप्सूल, इंजेक्शन, डोडा, चरस और हेरोइन छत्तीसगढ़ में बाहर से आ रहै हैं और यहां धड़ल्ले से बिक रहे हैं, लेकिन असल में जो समस्या है वह है गांजा, जो पड़ोसी राज्यों से तस्करी करके ले जाया जा रहा है। इसमें भी सबसे बड़ी बात यह है कि छत्तीसगढ़ में गांजा रेल, बस, ट्रक या अन्य मालवाहक साधनों के जरिए आता है। एनडीपीसी एक्ट के तहत करीब एक हजार से ज्यादा वाहनों को गांजे की तस्करी करते हुए जब्त किया गया है, जिसमें से करीब 10 को राजसात किया गया। अधिकारियों का कहना है कि गांजा तस्करी के लिए छत्तीसगढ़ का मुख्य केंद्र महासमुंद है। गांजा कहीं से भी आए इस जगह से होकर गुजरता ही है। यही कारण है कि पुलिस की मुस्तैदी से सबसे ज्यादा जब्ती भी यहीं होती है। जानकार बताते हैं कि गांजे की तस्करी रोकने के लिए नारकोटिक्स विभाग ने भी अपने स्तर पर कई प्रयास किए हैं, लेकिन वे इतने सफल नहीं हो पाए, जितनी की उम्मीद थी। राज्य में गांजा तस्करी पर नियंत्रण के लिए हाल ही में छत्तीसगढ़ और ओडिशा सरकार ने हाथ मिलाया है। सूचनाओं के आदान-प्रदान के साथ ही कार्ययोजना भी बनाई। बकायदा दोनों राज्यों ने अपने पुलिस अधिकारियों को नामित करके नोडल अधिकारी बनाने पर सहमति दिखाई। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों पर तगड़ी निगरानी होगी और तस्करों के हौंसले पस्त होने लगेंगे। इतना ही नहीं, दोनों राज्यों की सीमा से जुड़े इलाकों में 47 जांच चौकियों को सीसीटीवी कैमरे से लैस किया गया है। इसके लिए बकायदा अच्छे-खासे बजट का भी प्रावधान भी किया गया है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो