अब व्यापमं के जरिए भर्ती की योजना
डीकेएस प्रबंधन ने शुरुआती दौर में संविदा कर्मियों के भरोसे अस्पताल संचालन की योजना बनाई थी। कुछ माह बाद आधिकारिक बैठकों के बाद नियमित भर्ती करने की योजना बनाई गई है, जिसके लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं, अस्पताल को चुनाव से पूर्व शुरू करने के लिए फिर से प्लेसमेंट कंपनी और खुद के माध्यम से संविदा कर्मियों की भर्ती की जा रही है। ऐसे में पूर्व में छले गए युवाओं के साथ फिर से नए कर्मी भी छलावे का शिकार होने जा रहे हैं, क्योंकि कुछ दिनों बाद व्यापमं की तरफ से भर्ती होने पर फिर उनसे रोजगार छिन जाएगा।
जिम्मेदारी से भागने का प्रयास
इस मसले पर जानकारों का कहना है कि कायदे से सभी अभ्यर्थियों को रकम वापस करना प्रबंधन की जिम्मेदारी बनती है। वहीं, प्रबंधन इस मसले से भागने का प्रयास कर रहा है। अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता का कहना है कि हमने बतौर डीडी पैसे लिए हैं, न कि सीधे खाते में। वहीं, इन अभ्यर्थियों के आवेदन तक गायब हो चुके हैं, ऐसे में इस रकम की वापसी का कोई भी रास्ता नहीं दिखाई पड़ता है।
आवेदकों पर चली थीं लाठियां
प्रबंधन की ओर से दिसंबर 2017 में विज्ञापन जारी कर दो दिनों तक आवेदन स्वीकार किए थे। जिसमें आंबेडकर अस्पताल परिसर में हजारों बेरोजगारों की भीड़ लग गई थी। वहीं, इस दौरान भीड़ को काबू करने के लिए प्रबंधन ने पुलिस बल का भी उपयोग किया था, जिसमें व्यवस्था बनाते हुए बेरोजगारों ने लाठियां भी खाई थीं। आंकड़े बताते हैं, कि पहले दिन लगभग 10 और दूसरे दिन 12 हजार अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकार किए गए थे। जिनकी न तो स्क्रूटनी की गई और नहीं परीक्षा के लिए बुलाया गया।
कई बार रद्द हो चुकी उद्घाटन की तारीख
प्रबंधन की नाकामी सिर्फ भर्तियों में ही नहीं, बल्कि निर्माण में देरी की और तकनीकी सुविधाओं के विलंब होने से कई बार उद्घाटन की तिथियां भी बदली गई हैं। जबकि खुद मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री सहित सभी आला-अधिकारी देरी को लेकर फटकार लगाते रहे हैं। कुछ स्वास्थ्य मंत्री ने 27 सितम्बर को उद्घाटन की घोषणा की थी, जिसे फिर से बढ़ाकर आधी अधूरी व्यवस्थाओं के साथ 2 अक्टूबर को उद्घाटन की तिथि तय की गई है।
डॉ. पुनीत गुप्ता, अधीक्षक, डीकेएस अस्पताल