अबूझमाड़ की जलवायु, मिट्टी और मौसम लीची के बागानों के लिए उपयुक्त है, इसलिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर के अपने भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान नारायणपुर के ओरछा में 200 एकड़ क्षेत्र में लीची के पौधे लगाने के निर्देश दिए थे। जिस पर अमल शुरू हो गया है ।
अबूझमाड़ का क्षेत्र घनघोर जंगल है, इस वजह से यहां बारिश पर्याप्त होती है। इस क्षेत्र में छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक वर्षा होती है। अबूझमाड़ की समुद्र तल से 16 सौ मीटर ऊंचाई होने के कारण आर्द्रता और शीतल जलवायु लीची के लिए उपयुक्त जलवायु है ।
सीजन छोटा होने की वजह से लीची की बाजार में इतनी डिमांड है कि मार्केटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ती है। व्यापारी बागानों से एडवांस में बुकिंग कर लेते हैं। ओरछा शासकीय उद्यान में लगे लीची के सौ पौधों के फल आने से पहले ही व्यापारी आकर बुकिंग कर लेते हैं ।
लीची के पौधे से आय करना बहुत ही आसान है. इसके पौधों को लगाना बहुत आसान है. यदि पर्याप्त बारिश होती है, तो सिर्फ गर्मी के सीजन में पौधे को पानी देना होता है। खाद भी बहुत कम लगती है. इसके पौधे की खास बात है कि पांच साल में ही फल देने लगता है। एक सीजन में एक पेड़ में 20 किलो लीची लगती है, जो औसतन 120 रुपये किलो बिकती है। यही पेड़ 10 साल बाद प्रति सीजन 1 क्विंटल तक फल देता है ।
अबूझमाड़ क्षेत्र में सर्वे और मसाहती खसरा वितरण का कार्य जोर शोर से चल रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर इस क्षेत्र में 200 एकड़ में लीची के पौधों का रोपण किया जाएगा साथ ही जिन किसानों को मसाहती खसरा मिल गया है उन सभी को 20 से 30 पौधे दिए जाएंगे । उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों के खेतों में पौधों का रोपण किया जायेगा और उन्हें ट्रेनिंग भी देंगे ।