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देश में विदेश से आए कोरोना वायरस में नहीं हुआ है म्यूटेशन, इसीलिए कम घातक…

locationरायपुरPublished: Apr 08, 2020 07:17:04 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

लंदन, थाईलैंड और साउदी अरब से भारत के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरने और वहां से डोमेस्टिक फ्लाइट के जरिए रायपुर तक पहुंचने वाले किसी भी यात्री ने दूसरे को संक्रमित नहीं किया है। हालांकि अभी छत्तीसगढ़ में इस पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है, मगर एम्स ने वायरस के म्यूटेशन पर अध्ययन की तैयारी कर ली है।

देश में विदेश से आए कोरोना वायरस में नहीं हुआ है म्यूटेशन, इसीलिए कम घातक...

देश में विदेश से आए कोरोना वायरस में नहीं हुआ है म्यूटेशन, इसीलिए कम घातक…

रायपुर. प्रदेश में विदेश से आए कोरोना वायरस में म्यूटेशन (परिवर्तन) नहीं हुआ है। यह वायरस विदेश में रहने वाले छत्तीसगढिय़ों के अंदर जिस रूप में दाखिल हुआ, वह उसी रूप में ही अंत तक रहा। और फिर खत्म हो गया। यही वजह है कि लंदन, थाईलैंड और साउदी अरब से भारत के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरने और वहां से डोमेस्टिक फ्लाइट के जरिए रायपुर तक पहुंचने वाले किसी भी यात्री ने दूसरे को संक्रमित नहीं किया है।

हालांकि अभी छत्तीसगढ़ में इस पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है, मगर एम्स ने वायरस के म्यूटेशन पर अध्ययन की तैयारी कर ली है। एम्स के पास १० मरीजों और करीब 2 हजार लोगों की जांच रिपोर्ट है, जो अध्ययन के लिए पर्याप्त है।

हालांकि छत्तीसगढ़ के विशेषज्ञों ने भारत में हुए अब तक अध्ययनों के आधार पर यह अनुमान लगाया है कि भारत या छत्तीसगढ़ में आया वायरस में म्यूटेशन नहीं हुआ है। कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर, स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारियों की मानें तो अगर वायरस म्यूटेट करता तो अधिकांश पॉजिटिव मरीज ने घर पर होम क्वारंटाइन नियमों का उल्लंघन किया। परिजनों के साथ रहे। दोस्तों के साथ घूमे। ड्राइवर और घर के अन्य कर्मचारियों के संपर्क में रहे। किसी न किसी में तो वायरस पहुंचता। क्योंकि दसों पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आए सभी लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया गया है, जो निगेटिव है।

5 दिन में हो गए वायरस फ्री- प्रदेश के १० मरीजों में से नौ ठीक हो चुके हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं जिन्हें पॉजिटिव रिपोर्ट आने के एक घंटे के अंदर एम्स में आईसोलेट किया गया। पांच दिन इलाज चला और ये वायरस फ्री हो गए।
क्या होता है म्यूटेशन- स्थान, वातावरण या अन्य किसी कारण से यदि किसी सेल (वायरस, बैक्टीरिया से लेकर इंसान तक) के डीएनए और आरएनए में कोई भी बदलाव होता है, तो वह म्यूटेशन होता है।

क्या कहते हैं अध्ययन- अब तक हुए अध्ययनों के मुताबिक चाइना से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस में अधिकतम तीन बार म्यूटेशन हुआ है। चीन, अमेरिका, इटली और भारत में पहुंचे वायरस में पर हुए अध्ययनों में पाया गया है कि सर्वाधिक तीन म्यूटेशन अमेरिका और इटली में हुए। इसलिए यहां पॉजिटिव केसों की संख्या लाखों में है तो मरने वालों की संख्या हजारों में जा पहुंची है। यह वायरस यहां कहर बरपा रहा है।

नहीं भूलना चाहिए जनता कफ्र्यू और लॉक डाउन फॉर्मूला-

जानकारों का मानना है कि भले ही वायरस में म्यूटेशन न देखा गया हो, मगर वायरस के फैलाव को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के कदम सराहनीय रहे हैं। जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 मार्च को बुलाया गया जनता कफ्र्यू और उसके बाद 21 दिन का लॉक-डाउन, फॉर्मूला बेहद कारगर रहा है। लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को भी समझा। इतना ही नहीं लोगों के अंदर मॉस्क नहीं तो रूमाल मुंह में बांधने और घर जाकर साबून से हाथ धोनों की प्रवृति भी पैदा हुई है।

लापरवाही न बरतें- कम घातक का मतलब यह नहीं है कि हम लापरवाह हो जाएं, सतर्क रहें। घर पर रहें। लॉक डाउन के नियम का पालन करें। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में न जाएं। मॉस्क का इस्तेमाल करें। हाथ 20 सेकंड तक हर घंटे साबून से धोएं।


प्रदेश में लंदन से आए पॉजिटिव मरीजों की संख्या सर्वाधिक है और इन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल चुकी है। स्पष्ट है कि ये वायरस बहुत घातक नहीं है।

-डॉ. आरके पंडा, विभागाध्यक्ष, टीबी एंड चेस्ट, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल

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