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धान से बायो एथेनाल बनाने केन्द्र की ‘नाÓ, सीएम ने पीएम को लिखा पत्र

locationरायपुरPublished: Feb 11, 2020 01:34:14 am

Submitted by:

Dhal Singh

केंंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ को धान से बायो एथेनाल बनाने की अनुमति नहीं दी है। राÓय सरकार ने सितम्बर 2019 में मंत्रालय को प्रस्ताव भेजकर अनुमति मांगी थी। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आवश्यक सहमति प्रदान करने का अनुरोध किया है।

धान से बायो एथेनाल बनाने केन्द्र की 'नाÓ, सीएम ने पीएम को लिखा पत्र

धान से बायो एथेनाल बनाने केन्द्र की ‘नाÓ, सीएम ने पीएम को लिखा पत्र

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में धान आधारित बॉयो-एथेनॉल का विक्रयमूल्य शीरा, शक्कर, शुगर सिरप से उत्पादित एथेनॉल के बराबर रखने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने लिखा है, राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति में वर्ष 20&0 तक पेट्रोल में बॉयो-एथेनॉल ब्लैंडिग हेतु 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति में जैव ईधन को उ’च प्राथमिकता श्रेणी में रखा गया है। इसके तहत अतिरिक्त धान से बॉयो-एथेनॉल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना हेतु इ’छुक निवेशकों की रूचि की अभिव्यक्ति मंगाई जा चुकी है। इसके लिए जरूरी सहमति के लिए 19 सितम्बर 2019 को राÓय सरकार ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय से अनुरोध किया था, जो अभी तक मिल नही पाया है। मुख्यमंत्री ने लिखा, राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति के मुताबिक ऐसी सहमति कृषि मंत्रालय हर साल देगा। यह शर्त अव्यावहारिक है। ऐसी शर्त पर कोई भी निजी निवेशक राÓय में बॉयो-एथेनॉल संयंत्रों की स्थापना में निवेश के लिए इ’छुक नहीं होगा।
गृहमंत्री के सामने भी उठी थी मांग
पिछले महीने रायपुर में हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने भी बायोएथेनाल का मामला उठाया था। इससे पहले भी मुख्यमंत्री केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर यह मांग कर चुके हैं। कई बार पत्र भी लिखा जा चुका है।
सरकार का इतना जोर इसलिए
राÓय सरकार धान उत्पादक किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल का दाम देना चाहती है। केंद्र सरकार इसे बोनस मानकर हतोत्साहित कर रही है। बड़ी मुश्किल से केंद्र इस साल छत्तीसगढ़ का धान लेने को राजी हुआ है। राÓय सरकार अतिरिक्त धान को बायोएथेनाल के उत्पादन में लगाकर स्थायी समाधान चाहती है। इसमें विक्रय मूल्य का तय नहीं होना और बार-बार सहमति लेने की जरूरत बड़ा रोड़ा हैं।

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