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राज्य के इकलौते डेंटल कॉलेज में 15 साल बाद भी नही है पीजी पाठ्यक्रम, स्टूडेंट्स परेशाान

locationरायपुरPublished: Oct 11, 2018 09:45:24 am

Submitted by:

Deepak Sahu

प्रदेश में पांच निजी डेंटल कॉलेजों को काफी पहले ही पीजी की मान्यता मिल चुकी है

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राज्य के इकलौते डेंटल कॉलेज में 15 साल बाद भी नही है पीजी पाठ्यक्रम, स्टूडेंट्स परेशाान

रायपुर . प्रदेश के इकलौते शासकीय डेंटल कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) सीट की मान्यता नहीं होने के कारण छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। विगत 15 सालों से संचालित डेंटल कॉलेज के छात्रों को पीजी करने के लिए दूसरे राज्य या निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।
छात्रों को इसके लिए 30 से 40 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। वहीं, प्रदेश में पांच निजी डेंटल कॉलेजों को काफी पहले ही पीजी की मान्यता मिल चुकी है। गौरतलब है कि वर्ष-2003 से शुरू हुए डेंटल कॉलेज में अभी तक बीडीएस पाठ्यक्रम ही संचालित हो रहा है।

छात्रों की समस्या
डेंटल कॉलेज में अध्यननरत एक छात्रा ने बताया कि कॉलेज में बीडीएस का कोर्स करने के बाद पीजी के लिए काफी समस्या होती है। यदि निजी संस्थानों से पीजी का कोर्स किया जाए तो काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। एक अन्य छात्रा ने बताया कि पीजी कोर्स करने में कम से कम 30-40 लाख रुपए खर्च होते हैं। डेंटल कॉलेज में पीजी की मान्यता मिल जाती है तो यह कोर्स संभवत: एक या दो लाख में ही पूरा हो जाएगा। उसने बताया कि यहां से बीडीएस का कोर्स करने के बाद पीजी करने दूसरे राज्यों की तरफ छात्र रूख करने लगते हैं।

इस बार जगी उम्मीद
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआइ) की टीम गुरुवार को डेंटल कॉलेज में मौजूद व्यवस्थाओं को देखने के लिए पहुंचेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार ओरल एंड मैग्जिलो फिशियल सर्जरी, पेरियो डोन्टिक्स, ऑर्थो डोन्टिक्स, प्रोस्थो डोन्टिक्स, ओरल पैथोलॉजी, कन्सर्वेटिव डेन्टिस्ट्री तथा कमोनेटिव डिपार्टमेंट में से किसी तीन को पीजी की मान्यता मिल सकती है।

पिछली बार डीसीआइ की टीम ने शासकीय डेंटल कॉलेज में अव्यवस्थाओं को देखते पीजी की सीटों की मान्यता देने से इनकार कर दिया था। जबकि, कॉलेज प्रबंधन ने करोड़ों रुपए खर्च कर ६ पीजी क्लीनिक बनाए तथा उपकरणों की खरीदी की थी।

प्राचार्य और डॉक्टर्स के फोन नंबर कार्यालय में नहीं
प्राय: हर सरकारी संस्थानों के कार्यालय में वहां के आला अधिकारी और कर्मचारियों के फोन नंबर मौजूद रहते हैं, लेकिन शासकीय डेंटल कॉलेज के कार्यालय में न प्राचार्य का फोन नंबर मौजूद है और न किसी डॉक्टर का। शासकीय डेंटल कॉलेज की साइट पर दिए गए नंबर पर फोन करने पर उधर से जवाब मिला कि यहां पर किसी अधिकारी या कर्मचारी का फोन नंबर नहीं रखा जाता। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि किसी को प्राचार्य या अन्य डॉक्टर्स से बात करनी है तो उन्हें अस्पताल पहुंचना पड़ेगा।

शासकीय डेंटल कॉलेज के डीएमइ अशोक चंद्राकर ने कहा कि डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआइ) की टीम का औचक निरीक्षण होता है। अभी तक कोई जानकारी नहीं है। पीजी सीट की मान्यता के लिए सरकार को भेजा गया है।

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