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ऐसे में कैसे होगी बसाहट : नवा रायपुर में 5 साल में नहीं बने घर, 40 फीसदी पेनाल्टी भी नहीं

locationरायपुरPublished: Feb 23, 2021 08:57:15 pm

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CG Desk

– पूर्व में नियम- 20 से लेकर 40 फीसदी पेनाल्टी- नए नियम के मुताबिक- 5 से लेकर 15 फीसदी

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रायपुर. एक तरफ राज्य सरकार नवा रायपुर में बसाहट के लिए कई जतन कर रही है, वहीं दूसरी तरफ नवा रायपुर (Naya Raipur) में 5 साल के भीतर घर नहीं बनाने वाले भू-स्वामियों पर पेनाल्टी का बोझ कम करने की तैयारी की जा रही है। एनआरडीए ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है, जिसके बाद तय समय में घर नहीं बनाने वालों को और ज्यादा छूट मिलेगी।
पुराने नियमों के मुताबिक 5 साल के भीतर घर नहीं बनाने पर जमीन की कीमत का अधिकतम 40 फीसदी पेनाल्टी का प्रावधान हैं, लेकिन एनआरडीए ने आज तक किसी भी भू-स्वामी पर यह पेनाल्टी नहीं लगाई, वहीं दूसरे ओर अब इस पेनाल्टी को घटाकर 5 से लेकर 15 फीसदी के बीच रखने की तैयारी चल रही है। पेनाल्टी घटाने के मामले में एनआरडीए के आला अधिकारियों का कहना है कि यह नियम अव्यवहारिक था, जिसका ना तो पालन हो रहा था और ना ही लोग पेनाल्टी देने को तैयार थे। नियमों में सरलता इसलिए लाई जा रही है कि नियमों को व्यावहारिक बनाकर पेनाल्टी वसूल किया जा सके।
5 साल में 500 एकड़ से ज्यादा बिके
नवा रायपुर में 5 साल में 500 एकड़ से ज्यादा के जमीनों की बिक्री हो चुकी है, लेकिन निर्माण कार्य 10 फीसदी भी नहीं हुआ। नवा रायपुर में आमोद-प्रमोद, व्यावसायिक, सार्वजनिक, आवासीय मिश्रित आदि जमीनों के बड़े भू-भागों की बिक्री हो चुकी है। शैक्षणिक संस्थानों के प्लॉट की बिक्री भले काफी कम है, लेकिन कुल जमीनों में आवासीय प्रायोजन के जमीनों की बिक्री सबसे ज्यादा हुई है, लेकिन इसी सेक्टर में निर्माण कार्य भी सबसे कम हुआ है।
बिल्डरों ने प्रोजेक्ट लांच किए, यहां भी निवेशक ज्यादा
नवा रायपुर में निजी रियल एस्टेट (real estate) घरानों के प्रोजेक्ट में भी वास्तविक रहवासियों से ज्यादा निवेशकों ने निवेश किया है। निजी रियल एस्टेट कंपनियां भी अब यहां जमीन लेकर छोड़ रही है। मूल-भूत सुविधाएं नहीं होने की वजह से यहां निर्माण करने के बाद भी बसाहट को लेकर चिंता कम नहीं हुई है।
नियम को व्यावहारिक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में नियम ऐसे हैं, जिसमें पेनाल्टी काफी ज्यादा हो रही है। नवा रायपुर में बसाहट के लिए सभी कोशिशें की जा रही है।
– डॉ. अय्याज तांबोली, सीईओ, एनआरडीए

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