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एकलौता ऐसा स्कूल, यहां पढ़ने वाले एक भी बच्चे नहीं, दो टीचर खुद खोलते, हाजिरी देते और..

locationरायपुरPublished: Sep 20, 2018 05:33:06 pm

एकलौता ऐसा स्कूल, यहां पढ़ने वाले एक भी बच्चे नहीं, दो टीचर खुद खोलते, हाजिरी देते और..

Chhattisgarh school

एकलौता ऐसा स्कूल, यहां पढ़ने वाले एक भी बच्चे नहीं, दो टीचर खुद खोलते, हाजिरी देते और..

रुद्रदामन पाठक@रायपुर. छत्तीसगढ़ में एक ऐसा स्कूल भी है जहां पढऩे वाले एक भी बच्चे नहीं है, लेकिन इस स्कूल में दो टिचर ऐसे भी है जो हर दिन समय पर पहुंचकर स्कूल खोलते, हाजिरी देते और शाम को स्कूल बंद कर वापस चले जाते हैं। ये सब सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा होगा, लेकिन जशपुरनगर जिले के इस प्राथमिक स्तर की सरकारी स्कूल का हाल बेहद ही खराब है। जानिए पूरा मामला..
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए सरकारी स्कूल ही सबसे बड़ा संस्थान है। लेकिन जिले में ऐसा भी स्कूल संचालित हैं जहां दो शिक्षकों की पदस्थापना तो कर दी गई है, लेकिन वहां पढऩे के लिए एक भी छात्र का प्रवेश नहीं हुआ है। इस स्कूल में पदस्थ शिक्षक प्रतिदिन नियमित रुप से अपने समय में स्कूल आते हैं और समय होने पर स्कूल बंद कर वापस चले जाते हैं।
Chhattisgarh govt school
प्रशासन ने शिक्षा सत्र शुरु होने के पूर्व बड़े जोर शोर से स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव का आयोजन स्कूल में बच्चों के प्रवेश पर जोर दिया था। इसके बावजूद भी इस स्कूल में नए शिक्षा सत्र के तीन माह बीत जाने के बावजूद भी एक भी बच्चे का प्रवेश नहीं हो सका है।
जो जिले के प्राथमिक स्तर के शिक्षा के गुणवत्ता का पोल खोलने के लिए काफी है। फरसाबहार विकासखंड के पंडरीपानी ग्राम पंचायत के भीतघरा के नवीन प्राथमिक शाला की स्थिति ऐसी ही है। यहां दो शिक्षको की पदस्थापना की गई है लेकिन इस स्कूल में पढऩे के लिए एक भी छात्र नहीं है।
शासन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए कई प्रकार की योजनाओं का संचालन कर रही है ताकि बच्चों का रुझान शिक्षा की ओर बढ़ सके। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शासन ने प्रत्येक 1 किलोमीटर में प्राथमिक शालाओं की स्थापना कर दी है ताकि छोटे बच्चों को स्कूल आने जाने के लिए लंबी दूरी तय ना करना पड़े, इसके साथ ही अधिकारियों के द्वारा स्कूलों की गुणवत्ता जांच करने के लिए बीच-बीच में स्कूलों का औचक निरिक्षण भी किया जाता है।
इसके बावजूद भी जिले की प्राथमिक शिक्षा का बुरा हाल है। जिले के किसी स्कूलों में शिक्षको की कमी है तो कहीं तीन से चार छात्रों के लिए दो अधिक शिक्षको को तैनात कर दिया गया है। वहीं जिले के फरसाबहार ब्लाक के ग्राम पंचायत पंडरीपानी के भीतघरा में स्थित नवीन प्राथमिक शाला में इस नए शिक्षा सत्र में एक भी छात्रों का प्रवेश नहीं हो सका है। जबकी नए शिक्षा सत्र के प्रारंभ होने के पूर्व अप्रैल माह में इस स्कूल में 3 छात्रों की उपस्थिति दर्ज होती थी। वहीं जुलाई से प्रारंभ हुए नए शिक्षा सत्र में पूर्व में प्रवेशित 3 भी उक्त स्कूल को छोड़कर जा चुके हैं।

स्कूल में दो शिक्षक हैं पदस्थ
फरसाबहार विकासखंड के ग्राम पंचायत पंडरीपानी के भीतघरा में स्थित नवीन प्राथमिक शाला में छात्र-छात्राओं को अध्ययन कराने के लिए शिक्षा विभाग के द्वारा बकायदा दो शिक्षको की पदस्थपना की गई है। पूर्व शिक्षा सत्र में इस स्कूल में 3 छात्रों की उपस्थिति दर्ज होने के कारण यहां पदस्थ शिक्षक अध्ययन अध्यापन का कार्य कर रहे थे। लेकिन इस नए शिक्षा सत्र में एक भी छात्रों की उपस्थिति नहीं होने के कारण यहां पदस्थ शिक्षको को अब कोई काम ही नहीं है। इस स्कूल में पदस्थ दोनो शिक्षक नियमित रुप से अपने समय में स्कूल पंहुचते हैं और समय होने पर बंद कर वापस अपने घर चले जाते हैं।

क्षेत्र के बच्चे जा रहे निजी स्कूलों में
फरसाबहार के पंडरीपानी पंचायत के भितघरा गांव के वार्ड क्रमांक एक में 34 परिवार निवासरत हैं। लेकिन यहां के लोग अपने बच्चों का दाखिला यहां के सरकारी स्कूल मेें कराने के बजाए निजी स्कूलों में कराए हैं। यहां के लोगों का कहना है कि बच्चों का भविष्य अंग्रेजी के ज्ञान से बनता है,डिजिटल युग में अंग्रेजी बचपन से ही पढ़ाया जाना चाहिए। यदि इस सरकारी स्कूल में बच्चों को निजी स्कूलों की तरह अंग्रेजी की पढ़ाई कराई जाएगी तो वे भी अपने बच्चों का प्रवेश कराएंगे।

जशपुर जिला शिक्षा अधिकारी बीआर धु्रव ने बताया कि मै स्थानांतरित होकर कुछ दिनों पूर्व ही जिले में आया हूं, जिला मुख्यालय छोड़ कर अभी कहीं नहीं गया हूं,इसलिए अभी मूझे ज्यादा जानकारी नहीं है। मामले की जानकारी लेकर इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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