रायपुर

बूढ़ों को ही नहीं युवाओं को भी हो सकता है अल्जाइमर, बचाव के लिए करें ये उपाय

अल्जाइमर के बारे में कहा जाता है कि यह रोग ज्यादातर बुजुर्गों को होता है, जिसमें धीरे-धीरे व्यक्ति की याद्दाश्त और सोचने की शक्ति कम होती रहती है। लेकिन यह बात सत्य नहीं है। दरअसल, अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है, जिसमें धीरे-धीरे व्यक्ति की याद्दाश्त और सोचने की शक्ति कम होती रहती है।

रायपुरSep 22, 2020 / 07:11 pm

lalit sahu

बूढ़ों को ही नहीं युवाओं को भी हो सकता है अल्जाइमर, बचाव के लिए करें ये उपाय

अल्जाइमर रोग का सबसे समान्य रूप डिमेंशिया है। हालांकि अब यह बीमारी केवल बूढ़ों तक ही सीमित नहीं रही है, इस रोग की चपेट में युवा भी आने लगे हैं। लाखों लोग हर साल इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी हो जाता है कि आखिर यह रोग, इसके लक्षण और बचाव के तरीके क्या होते हैं।

क्यों होती है यह बीमारी
अल्जाइमर का खतरा मस्तिष्क में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने के कारण बढ़ता है। ये एक मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है।

अल्जाइमर के लक्षण
रात में नींद न आना
रखी हुई चीजों को जल्दी भूल जाना
आंखों की रोशनी कम होने लगना
छोटे-छोटे कामों को करने में भी परेशानी होना
अपने परिवार के सदस्यों को न पहचान पाना
कुछ भी याद करने, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव पडऩा
डिप्रेशन में रहना, डर जाना

अल्जाइमर से बचाव के सुझाव
डाक्टरों की मानें तो भूलने की इस बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से भी खुद को स्वस्थ रखें। नकारात्मक विचारों को अपने मन पर हावी न होने दें। व्यक्ति मन को प्रसन्न रखने के लिए अपने पसंद का संगीत सुनें, गाना गाने, खाना बनाने, बागवानी करने आदि कार्य जिसमें उसका मन लगे कर सकता है। इसके अलावा माइंड मैनेजमेंट, हेल्दी लाइफ स्टाइल और नशे से दूरी जैसे एहतियात बरतकर अल्जाइमर और डिमेंशिया से बच सकते हैं।

किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सा विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. त्रिपाठी की मानें तो बुजुर्गों को डिमेंशिया से बचाने के लिए जरूरी है कि परिवार के सभी सदस्य उनके प्रति अपनापन रखें। बुजुर्गों को अकेलापन न महसूस होने दें, समय निकालकर उनसे बातें करें, उनकी बातों को नजरअंदाज न करें बल्कि उनको ध्यान से सुनें। इसके अलावा निर्धारित समय पर घर के बड़ों के सोने-जागने, नाश्ता व भोजन की व्यवस्था का ध्यान रखें।
हालांकि अभी तक इस बीमारी का कोई सटीक इलाज डॉक्टरों को नहीं मिल पाया है, लेकिन अपनी जीवनशैली में यह बदलाव करके इस रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें।
लोगों से मिलना जुलना चाहिए, जिससे डिप्रेशन न हो।
पर्याप्त नींद लें।
सकारात्मक सोच बनाए रखें।
नशे से दूर रहें।
ब्लड प्रेशर व शुगर नियंत्रित रखें।
शुगर की मात्रा कम रखनी चाहिए।
बहुत ज्यादा नमक नहीं खाना चाहिए।
काफी ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए।
वजन को संतुलित रखना चाहिए।
डाइट में तरह-तरह के फल और सब्जियों को शामिल करना चाहिए जैसे साबुत अनाज, लीन प्रोटीन आदि।

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