कार्यालय में दो सीएमएचओ के होने से दो दिनों से कागजी कामकाज ठप हो गया था। कर्मचारियों में यह दुविधा थी कि आखिर सीएमएचओ पद का असली हकदार कौन है। एक कर्मचारी ने बताया कि जब डॉ. मीरा बघेल रहती थीं तो डॉ. सोनवानी नदारद रहते थे। डॉ. बघेल के जाने पर डॉ. सोनवानी कुर्सी पर काबिज हो जाते थे। पूरे दिन आने-जाने का सिलसिला बना रहता था।