कागज (पेपर), पेन्सिल और सेल (बैटरी) का उपयोग कर खून की सिर्फ एक बूंद से कई संबंधित बीमारियों का पता लगाने के आसान तरीका ईजाद किया है।
रायपुर. जमाना नैनो टेक्नोलॉजी का है। एक वक्त ऐसा था जब किसी मशीन या एक्युप्मेंट को रखने के लिए बड़ी जगह की जरूरत होती थी, अब नैनो चिप से बड़े काम होने लगे हैं। लेकिन इसका उपयोग प्रोफेशनल तरीके से हर कोई नहीं कर सकता।
ऐसी चीजें जो आसानी से मिल जाएं और उसका उपयोग किसी बीमारी की पहचान में होने लगे तो? जी हां। इसे संभव कर दिखाया है आइआइटी खडग़पुर के प्रोफेसर डॉ. सुमन चक्रवर्ती ने। उन्होंने बहुत ही कम खर्च में घरेलू और आसानी से उपलब्ध होने वाली चीजों जैसे कागज (पेपर), पेन्सिल और सेल (बैटरी) का उपयोग कर खून की सिर्फ एक बूंद से कई संबंधित बीमारियों का पता लगाने के आसान तरीका ईजाद किया है। जिसका पेटेंट भी कराया है। एनआइटी में आयोजित आइसीबेस्ट- 2018 में उन्होंने इसकी सिलसिलेवार जानकारी दी।
इसके साथ-साथ उन्होंने इस प्रोजेक्ट को मार्केट में लाने व आम लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध होने का रोडमैप भी बताया। उन्होंने इसके व्यावसायीकरण के लिए सभी विभागों जैसे रसायन, बॉयोमेडिकल, बॉयोटेक्नोलॉजी, पैथालॉजी, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के एक साथ मिलकर ग्रुप में काम करने पर जोर दिया।
सिगड़ी के धुएं से भी हो सकता है कैंसर डॉ. अनिकेत ठोके, विभागाध्यक्ष रेडियालॉजी संजीवनी सीबीसीसी कैंसर हॉस्पिटल ने कैंसर के पहचान और निदान पर अपने विचार रखे। उन्होंने राज्यों के हिसाब से कैंसर मरीजों के प्रतिशत तथा उनके कारणों के बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ और दूसरे राज्यों में तंबाखू चबाना कैंसर का प्रमुख कारण है। औद्योगिकीकरण और सिगड़ी के धुएं से भी कैंसर हो सकता है। कैंसर के कुछ मामले अनुवांशिक भी होते हैं।
उन्होंने प्रोजेक्ट के माध्यम से आधुनिक कैंसर का इलाज व इसके लिए बॉयोमेडिकल इमेज प्रोसेसिंग के साथ मशीन लर्निंग तकनीकों के उपयोग के बारे में समझाया। डॉ. ठोके ने कीमोथैरेपी और उसके दुष्प्रभाव के बारे में बताते हुए कैंसर के अलग-अलग स्टेजेस और उसके समय के साथ मानव शरीर में फैलाव की जानकारी दी।
पुरानी व नई तकनीक का रोचक सफर डॉ. नरेन्द्र बोधे, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष रेडियोलॉजी विभाग, एम्स रायपुर ने प्रारंभिक और पुराने चिकित्सिकीय यंत्रों एवं उपचार के तरीकों और उनके नवीनतम एवं आधुनिकतम मशीनों में रूपांतरण तथा उपलब्ध सुविधाओं से अपने व्याख्यान की शुरुआत की।
उन्होंने रेडियालॉजी इमेजेस जैसे एक्सरे, सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड आदि की प्रोसेसिंग एवं चिकित्सकों द्वारा उनके प्रयोग के बारे में बताया। उन्होंने मस्तिष्क की जांच के लिए विशेष रूप से एफएमआरआइ मशीन के प्रयोग के बारे में बताया जो कि मस्तिष्क में ऑक्सीजन की मात्रा एवं रक्तप्रवाह की जानकारी देता है।