प्रदेश में क्रेडा द्वारा पवन ऊर्जा को लेकर कुछ वर्ष पहले नौ स्थानों का चयन किया गया था। जिनमें जशपुर, सरगुजा, मैनपाट, केशकाल, बचेली, गरियाबंद, कोंडागांव प्रमुख रूप से शामिल थे। इन स्थानों पर क्रेडा ७.५० करोड़ रुपए खर्च कर ८० मीटर ऊंचाई वाले मास्ट लगाए गए थे।कहा ये गया था कि इससे ३१४ मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता। मगर इसे बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली।
ऊर्जा संयंत्र लगाने पर सरकार से होगा इतने वर्षों के लिए अनुबंध-
ऊर्जा- अनुबंध अवधि
पवन ऊर्जा विद्युत परियोजना- 25 साल
लघु जल विद्युत संयंत्र- 35 साल
बायोमॉस विद्युत संयत्र- 20 साल
सौर तापीय विद्युत संयंत्र- 25 साल
ठोस अपशिष्ट/कचरा निष्पादन ईधन आधारित विद्युत संयंत्र- २० साल
फैक्ट फाइल-
ताप विद्युत क्षमता- 3080 मेगावॉट
जल विद्युत क्षमता- 138.70 मेगावॉट
(अभी प्रदेश में कोयला, पानी से बन रही है बिजली। तीसरा कोई स्रोत अब तक नहीं हुआ विकसित)
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क्रेडा के कार्यपालन अभियंता बीबी तिवारी ने बताया कि पवन ऊर्जा, ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है। विंड मॉनीटरिंग का काम जारी है। बहुत ज्यादा सफलता नहीं है लेकिन भविष्य में बेहतर परिणाम हो भी सकते हैं।