scriptप्रदेश में कोयला संकट के बीच अच्छी खबर, प्रदेश में अब हवा-कचरे से बनाई जाएगी बिजली | now electricity will be made from air-waste in the state | Patrika News

प्रदेश में कोयला संकट के बीच अच्छी खबर, प्रदेश में अब हवा-कचरे से बनाई जाएगी बिजली

locationरायपुरPublished: Dec 10, 2019 06:46:15 pm

नियम-शर्तें तय हुईं, नियामक आयोग ने भी जारी की गाइडलाइन

प्रदेश में कोयला संकट के बीच अच्छी खबर, प्रदेश में अब हवा-कचरे से बनाई जाएगी बिजली

प्रदेश में कोयला संकट के बीच अच्छी खबर, प्रदेश में अब हवा-कचरे से बनाई जाएगी बिजली

रायपुर. प्रदेश में कोयले के भंडार सीमित है। अब तो कोयला संकट गहराया हुआ है। मड़वा प्लांट की एक यूनिट कोयले की आपूर्ति न होने की वजह से अभी तक बंद पड़ी है। गर्मी में नदियां भी सूख जाती हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने ऊर्जा के गैर-परंपरागत स्रोतों को बढ़ावा देने के निर्देश राज्यों को जारी किए हैं। जिसमें उल्लेख है कि पवन, जीवाश्म, नगरीय निकायों से निकलने वाले कचरे और ठोस अवशिष्ट से बिजली उत्पादन की बात है। यह कोयला और पानी से पैदा होने वाली बिजली की तुलना में सस्ती है। इन्हीं कारणों को मद्देनजर रखते हुए राज्य विद्युत नियामक आयोग ने गैर परंपरागत ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करने के लिए नियम-शर्तें तय कर दी हैं।
आयोग ने तय किया है कि ऊर्जा संयंत्रों कितने मेगावॉट के होंगे, टेरिफ (बिजली दर) क्या होगा, संयंत्र लगाने के लिए राज्य सरकार कितनी छूट देगी? नई दरें एक अप्रैल २०१९ से लागू होंगी। हालांकि ऊर्जा के इन स्त्रोंतो को स्थापित करना चुनौती है लेकिन सच यह भी है कि कई राज्यों में ये सफल भी हुए हैं। गौरतलब है कि राज्य में पवन ऊर्जा तकनीकी केंद्र, राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (एनआईडब्ल्यूई) और क्रेडा मिलकर काम भी कर रहे हैं।
क्रेडा को नहीं मिली बहुत ज्यादा सफलता
प्रदेश में क्रेडा द्वारा पवन ऊर्जा को लेकर कुछ वर्ष पहले नौ स्थानों का चयन किया गया था। जिनमें जशपुर, सरगुजा, मैनपाट, केशकाल, बचेली, गरियाबंद, कोंडागांव प्रमुख रूप से शामिल थे। इन स्थानों पर क्रेडा ७.५० करोड़ रुपए खर्च कर ८० मीटर ऊंचाई वाले मास्ट लगाए गए थे।कहा ये गया था कि इससे ३१४ मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता। मगर इसे बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली।
ऊर्जा संयंत्र लगाने पर सरकार से होगा इतने वर्षों के लिए अनुबंध-
ऊर्जा- अनुबंध अवधि
पवन ऊर्जा विद्युत परियोजना- 25 साल
लघु जल विद्युत संयंत्र- 35 साल
बायोमॉस विद्युत संयत्र- 20 साल
सौर तापीय विद्युत संयंत्र- 25 साल
ठोस अपशिष्ट/कचरा निष्पादन ईधन आधारित विद्युत संयंत्र- २० साल
रामकी ने दिया है कचरे से बिजली बनाने का प्रस्ताव

रायपुर नगर निगम से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन के लिए अनुबंधित रामकी कंपनी ने वेस्ट एनर्जी प्लांट का प्रस्ताव जुलाई २०१८ सरकार को सौंपा था। २०० करोड़ रुपए की लागत वाले प्रोजेक्ट में कंपनी २२ साल तक प्लांट का रख-रखाव करेगी, छह मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। इस बिजली से एक छोटे गांव को रोशन किया जा सकता है। अभी इस पर सरकार द्वारा मंजूरी नहीं दी गई है।
फैक्ट फाइल-
ताप विद्युत क्षमता- 3080 मेगावॉट
जल विद्युत क्षमता- 138.70 मेगावॉट
(अभी प्रदेश में कोयला, पानी से बन रही है बिजली। तीसरा कोई स्रोत अब तक नहीं हुआ विकसित)
————————————————
क्रेडा के कार्यपालन अभियंता बीबी तिवारी ने बताया कि पवन ऊर्जा, ऊर्जा का एक अच्छा स्रोत है। विंड मॉनीटरिंग का काम जारी है। बहुत ज्यादा सफलता नहीं है लेकिन भविष्य में बेहतर परिणाम हो भी सकते हैं।
राज्य विद्युत नियामक आयोग के सचिव एसपी शुक्ला ने बताया कि ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों को विकसित करना बेहद जरूरी है। केंद्र से प्राप्त निर्देशों के आधार पर आयोग द्वारा नियम-शर्तें तय कर दी गई है। इनके आधार पर जो भी डेवलपर आना चाहें तो वे आ सकते हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो