scriptगोबर के गमलों से बढ़ेगी अब घरों की सुन्दरता | Now the beauty of houses will increase with cow dung pot | Patrika News

गोबर के गमलों से बढ़ेगी अब घरों की सुन्दरता

locationरायपुरPublished: Dec 10, 2019 10:57:56 pm

Submitted by:

lalit sahu

शास्त्री बाजार स्थित खादी भंडार में बिक्री के लिए गोबर के गमले उपलब्धगोबर के गमले प्रदूषण से मुक्त और पोषण से युक्त

गोबर के गमलों से बढ़ेगी अब घरों की सुन्दरता

शास्त्री बाजार स्थित खादी भंडार में बिक्री के लिए गोबर के गमले उपलब्ध है।

रायपुर. गोबर के गमलों में लगे फूल घरों की सुन्दरता को चार-चांद लगाने का काम करेंगे। शास्त्री बाजार स्थित खादी भंडार में बिक्री के लिए गोबर के गमले उपलब्ध है। उल्लेखनीय है कि गोबर के गमले का उपयोग करने से नर्सरी में पौधे लगाने से प्लास्टिक का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होगी जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होगा। गोबर के गमले में मिट्टी भरकर पौधा लगाया जा सकता है और जब पौधे को जमीन में लगाना हो तो गमले के साथ ही मिट्टी में इसका रोपण किया जा सकता है। गोबर के गमले से पौधे को समस्त आवश्यक पोषक तत्व स्वत: प्राप्त हो जाते है। गोबर के गमलों के निर्माण से पशुपालकों के साथ-साथ महिला स्व-सहायता समूहों को भी रोजगार के साधन उपलब्ध हो पा रहे है। गोबर का गमला कीमत में भी काफी सस्ता होता है। साथ ही गमले में लगाए गए पौधों को गमले से ही पोषण मिलता है।

गोबर में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व
गोबर के गमले पर्यावरण के अनुकूल है। गोबर के गमलों को बनाने में कोई प्रदूषण नहीं होता है। गोबर में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं, जिससे पौधों को पोषक तत्वों की पूर्ति गोबर के गमलों से ही पर्याप्त मात्रा में हो जाती है। गोबर के गमले सूखे गोबर एवं अन्य प्राकृतिक पदार्थों से बनाए जाते हैं। गोबर के गमले शुद्ध एवं पवित्र होते हैं। गोबर के गमले 9 माह तक अपने स्वरूप में सुरक्षित रहते हैं। गोबर के गमले वजन में हल्के, फफून्दरोधी व दीमकरोधी (एन्टी टर्माइट) है। पौधों की रोपाई करने के लिए यह सबसे अच्छा माध्यम है। गोबर के गमलों को सीधे जमीन में लगाया जा सकता है। गोबर के गमलों को ढलाई के बाद 5 दिन तक सुखाया जाता है। इसे अन्य मिट्टी के गमलों की तरह पकाया नहीं जाता है।
उल्लेखनीय है कि रायपुर के आरंग विकासखंड के ग्राम बनचरौदा में महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा गोबर के गमलों का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे गौपालकों सहित महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है।

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