रायपुर@ छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग कला अकादमी की ओर से भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों पर आधारित दो दिवसीय आयोजन नृत्यांजलि महोत्सव बुधवार की शाम मुक्ताकाशी मंच पर शुरु हुआ। पहला दिन कथक व भरतनाट्यम की प्रस्तुतियों के नाम रहा। इस दौरान कलाकारों ने अपने नृत्य के माध्यम से विभिन्न पौराणिक प्रसंगों को मंच पर जीवंत कर दिया। भोपाल की आरोही मुंशी भरतनाट्यम तृत्य शैली में विविध प्रसंग लेकर मंच पर उतरी। दर्शकों के सम्मुख उन्होंने स्वर पल्लवी, देवी दुर्गा स्तुति, जयती-जयती भारत माता और तिल्लाना की शानदार प्रस्तुति दी। वहीं बिलासपुर की ज्योति वैष्णव ने अपने कथक नृत्य की प्रस्तुति में शिव वंदना के उपरांत रायगढ़ घराने की पारंपरिक रचनाएं पेश की। जिसमें उपोदधान, विलास, परन, कालरव, अनघात, दल बादल, कड़क बिजली, बिजली परन, कृष्ण लास्य, मत्स्य श्रृंगावली, लय व बाट आदि की सधी हुई प्रस्तुति हुई। रामभजन से अपनी प्रस्तुति का समापन किया। तीसरी प्रस्तुति इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की समूह नृत्य की रही। जिसमें सुशांत कुमार दास के निर्देशन में ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसमें गणेश वंदनम से शुरुआत कर रावण रचित शिव तांडव स्त्रोत और मोक्ष प्राप्ति को दर्शकों के सम्मुख कलाकारों ने प्रस्तुत किया। आयोजन में अंचल के वरिष्ठ नृत्य आचार्य गुरु पंडित रामलाल का कला अकादमी की ओर से विशेष सम्मान किया गया।
रायपुर@ छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग कला अकादमी की ओर से भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों पर आधारित दो दिवसीय आयोजन नृत्यांजलि महोत्सव बुधवार की शाम मुक्ताकाशी मंच पर शुरु हुआ। पहला दिन कथक व भरतनाट्यम की प्रस्तुतियों के नाम रहा। इस दौरान कलाकारों ने अपने नृत्य के माध्यम से विभिन्न पौराणिक प्रसंगों को मंच पर जीवंत कर दिया। भोपाल की आरोही मुंशी भरतनाट्यम तृत्य शैली में विविध प्रसंग लेकर मंच पर उतरी। दर्शकों के सम्मुख उन्होंने स्वर पल्लवी, देवी दुर्गा स्तुति, जयती-जयती भारत माता और तिल्लाना की शानदार प्रस्तुति दी। वहीं बिलासपुर की ज्योति वैष्णव ने अपने कथक नृत्य की प्रस्तुति में शिव वंदना के उपरांत रायगढ़ घराने की पारंपरिक रचनाएं पेश की। जिसमें उपोदधान, विलास, परन, कालरव, अनघात, दल बादल, कड़क बिजली, बिजली परन, कृष्ण लास्य, मत्स्य श्रृंगावली, लय व बाट आदि की सधी हुई प्रस्तुति हुई। रामभजन से अपनी प्रस्तुति का समापन किया। तीसरी प्रस्तुति इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की समूह नृत्य की रही। जिसमें सुशांत कुमार दास के निर्देशन में ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इसमें गणेश वंदनम से शुरुआत कर रावण रचित शिव तांडव स्त्रोत और मोक्ष प्राप्ति को दर्शकों के सम्मुख कलाकारों ने प्रस्तुत किया। आयोजन में अंचल के वरिष्ठ नृत्य आचार्य गुरु पंडित रामलाल का कला अकादमी की ओर से विशेष सम्मान किया गया।