रायपुर

शराब का अवैध कारोबार

गांव-गांव में अवैध रूप से शराब निर्माण व बिक्री से समाज के सभ्रांत लोगों का दम घुटने लगा है

रायपुरOct 17, 2018 / 07:32 pm

Gulal Verma

शराब का अवैध कारोबार

छत्तीसगढ़ में शराब के अवैध कारोबार और नशे की बढ़ती प्रवृत्ति आम जनमानस के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है। गांव-गांव में अवैध रूप से शराब निर्माण व बिक्री से समाज के सभ्रांत लोगों का दम घुटने लगा है। शराब की लत ने खास तौर पर युवा वर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रखा है। आदिवासी इलाकों में शराब के कारण ही आए दिन घरों में कलह की स्थिति बन रही है। कई जनपदों में शराब न मिलने के कारण परिवार के सदस्याओं की हत्याएं तक हुई हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए स्वयंसेवी संस्थाओं ने भी महिलाओं के सहयोग से आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है। शराब की बिक्री के खिलाफ घरों की दहलीज से महिलाओं को बाहर भी निकलना पड़ा है। महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर शराब के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन भी किया है। इस आंदोलन में महिलाओं ने शराब की अवैध भ_ियों तक पहुंचकर सीधी कार्रवाई करने का साहस तक दिखाया है। सोचनीय बात यह है कि शराब के खिलाफ आंदोलन में पीडि़त महिलाओं ने जिस तरह से मुखर होकर साहस दिखाया है, उतनी साहस अवैध शराब की बिक्री रोकने वाले अफसरों ने शायद ही कभी दिखाया है। बिलासपुर सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में शराब दुकानों के खिलाफ उठती आवाजें इस बात की गवाह हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को शायद ऐसी आवाजों से कोई परवाह नहीं होती।
यह गंभीर चिंता का विषय है कि एक तरफ दिन भर कड़ी मेहनत करने के बाद शाम को पति शराब में पैसे फंूक दें तो दूसरी तरफ पत्नी और बच्चे एक जून की रोटी के लिए मोहताज हो जाएं। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में हजारों परिवारों को इस संकट से दो-चार होना पड़ रहा है, लेकिन शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। पुलिस और आबकारी विभाग के अफसरों को सिर्फ अवैध कमाई से मतलब रहता है। कारण यह है कि शराब का कारोबार सरकार के लिए भी ‘दुधारू गायÓ बना हुआ है। बहरहाल, शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाए। वर्ना, गांव-गांव में शराब के अवैध निर्माण व बिक्री की चपेट में आकर लोग एक-एक कर नशे का शिकार होते जाएंगे, जो एक दिन समाज के लिए ही भयावह साबित होगा।

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