बता दें कि 19 जुलाई को तेलीबांधा थाने के सामने पाइप लाइन में केबल बिछाने वाले ग्रिल से आर-पार छेद हो गया था, जिससे थाने के अंदर से देकर पूरा परिसर डूब गया और निगम के अमले को पानी निकासी में 3 से 4 घंटे लग गए थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि ऐसी घटना में जियो कंपनी के ठेकेदार से जुर्माना वसूलने में केवल खानापूर्ति का ही आलम चल रहा है। क्योंकि उस घटना से आज तक नगर निगम के जिम्मेदारी अधिकारी सख्ती से जुर्माना नहीं वसूल सके। पहली किश्त के रूप में केवल उतनी राशि ही जमा करा पाए हैं, जितना की क्षतिग्रस्त पाइप को बदलने में खर्च हुआ था। अफसरों का कहना है कि जियो कंपनी के ठेकेदार से क्षतिपूर्ति के रूप में 50 हजार रुपए सप्ताह भर पहले ही जमा कराया लिया गया है। बाकी अभी 3 लाख रुपए जमा कराना है। इसके लिए तीसरी बार नोटिस जारी किया है।
डीओ लेटर की आड़ में बचाव का चल रहा खेल
फिल्टर प्लांट के इंजीनियरों ने तेलीबांधा थाने के सामने मेन पानी पाइप फूटने के मामले में जियो कंपनी के ठेकेदार को जिम्मेदार माना था। पाइप लाइन को बनाने से लेकर जुर्मा राशि का मूल्यांकन 3 लाख 50 हजार रुपए किया था, जिसमें क्षतिपूर्ति के नाम पर ठेकेदार ने केवल 50 हजार जमा कराया। बाकी रकम को लेकर जियो कंपनी द्वारा ठेकेदार को जो वर्कआर्डर जारी करना होता है, वह जारी नहीं किया था, उसी की आड़ में जियो कंपनी के जिम्मेदार आनाकानी कर रहे हैं। निगम के अफसरों के अनुसार आखिरी बार नोटिस जारी किया है। किसी भी स्थिति में जियो कंपनी को जुर्माना राशि जमा करना होगा। क्योंकि ठेकेदार के बयान से साफ है कि उसे कंपनी ने डीओ लेटर नहीं दिया, जबकि काम कराने की स्वीकृति मौखिक रूप से दे दी थी।
जियो कंपनी को आखिरी नोटिस जारी कर जुर्माना की राशि जमा कराने कहा गया है। ठेकेदार का बयान दर्ज करके ही जुर्माना वसूली की कार्रवाई की जा रही है। डीओ लेटर जारी नहीं करने की बहानेबाजी नहीं चल पाएगी।
बीएल चंद्राकर, कार्यपालन अभियंता, जल विभाग, निगम