गौरतलब है कि अटल नगर स्थित पुरखौती मुक्तांगन में एक ही सीरियल नंबर और शासन का लोगो लगा कई फर्जी टिकट काटकर सरकारी पैसे का गबन किया जा रहा था। इसमें शासन तक पूरी राशि न पहुंचाकर करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़े की आशंका जताई जा रही है।
पत्रिका ने पड़ताल कर 21 जनवरी के अंक में इस भ्रष्टाचार का खुलासा किया। इसी बीच मामले को संज्ञान में लेने के लिए संस्कृति विभाग के सचिव से बात की गई तो उन्हें कहा कि इसकी जानकारी पहले से मिल चुकी थी। इसके बाद भी कड़ाई से जांच न कराना कई सवाल खड़े कर रहे हैं।
सचिव को अज्ञात कर्मचारी ने दी जानकारी
सूत्रों ने बताया कि मुक्तांगन में टिकट फर्जीवाड़ा को लेकर विभाग के ही कर्मचारी ने आपका शुभचिंतक लिखकर फर्जी टिकट काटे जाने की जानकारी सचिव को पहले ही दे दी थी। जिसके बाद सचिव ने संचालक और अन्य अधिकारियों को तलब किया। फर्जीवाड़े की जांच करने की बात कहकर गुपचुप तरीके से मामले ठंडे बस्ते में डालते दिखे।
संचालक ने की मुक्तांगन की जांच
संस्कृति विभाग के संचालक चंद्रकांत उइके ने बताया कि टिकट फर्जीवाड़े की जानकारी सचिव के माध्यम से मिलते ही पुरखौतीन मुक्तांगन की जांच की गई। टिकट काउंटर में बैठने वाले दो अनियमित कर्मचारियों को भी हटा दिया गया है। सिस्टम को जांच के लिए भेजा गया है, लेकिन उसमें सिर्फ दो दिन का ही डाटा है।
संस्कृति विभाग के सचिव निहारिका बारिक ने बताया कि एक ही सीरियल के कई टिकट बांटने की जानकारी मुझे पहले से ही है। मैंने जांच के लिए संचालक को कह दिया है। दोषियों पर जल्द कार्रवाई होगी।