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पुराने बारदाने खराब, नए के लिए केंद्र पर आस

locationरायपुरPublished: Jun 21, 2022 11:44:24 am

Submitted by:

Rahul Jain

– इस बार 5.25 लाख गठान बारदानों की मांग, पहुंचे 37 हजार गठान
– धान खरीदी के लिए राज्य सरकार ने केंद्र ने मांगे नए बारदाने, अभी 50-50 का था अनुपात

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रायपुर. राज्य सरकार इस साल भले ही नवम्बर-दिसम्बर में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की शुरुआत करेगी, लेकिन उसके लिए अभी से होमवर्क शुरू हो गया है। पिछले कुछ सालों से खरीदी में सबसे बड़ी अड़चन बारदानों की कमी रहती थी। इसे ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने कोलकाता जूट कमिश्नर से 5.25 लाख गठान बारदानों की मांग की है। इसमें से अभी करीब 37 हजार गठान बारदाने छत्तीसगढ़ पहुंच गए हैं। यदि राज्य की मांग के मुताबिक बारदाना नहीं मिलता है, तो इस बार भी किसानों को परेशानी उठानी पड़ सकती है।राज्य सरकार हर साल केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी बनकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी करती है। धान खरीदी के लिए 50 फीसदी पुराने और 50 फीसदी नए बारदानों के उपयोग करने का नियम है। जबकि इस बार राज्य सरकार ने केंद्र से 100 फीसदी नए बारदानों में धान की खरीदी करने की अनुमति मांगी है। राज्य सरकार का तर्क है कि पिछले चार-पांच सालों से पुराने बारदानों का उपयोग होने की वजह से वे खराब हो गए हैं। इससे धान का नुकसान अधिक हो रहा है। नए बारदाना मिलने पर नुकसान से बचा जा सकेगा। दरअसल, धान खरीदी और कस्टम मिलिंग के बाद राज्य सरकार चावल एफसीआई में जमा करती है। यह चावल नए बारदानों में जमा किया जाता है। इस वजह से हमेशा नए वारदानों का संकट बना रहता है।
25 को होगी अहम बैठक
धान खरीदी की तैयारियों को लेकर 25 जून को मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक होगी। इसमें धान खरीदी की नीति, बारदानों और धान खरीदी के केंद्रों आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा होगी। इससे पहले 11 जून को एक दौर की बैठक खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्ष में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो चुकी हैं।
…तो किसानों को उठाना पड़ेगा नुकसान
यदि केंद्र सरकार पर्याप्त बारदाने नहीं देता है, तो किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल, बारदानों की कमी को देखते हुए पिछले दो सालों से किसानों के बारदाने में धान बेचने की अनुमति दी गई है। किसानों के बारदानों की एवज में राज्य सरकार 25 रुपए का भुगतान कर रही है। जबकि बाजार में इसकी कीमत 35 रुपए के आसपास रहती है।
खाद और डीजल की मार भी भारी
मौजूदा हालात को देखते हुए खेती-किसानी के लिए किसानों को जूझना पड़ सकता है। मानसून सक्रिय होते ही बहुत से जिलों में बोआई शुरू हो गई है, लेकिन राज्य सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद उपलब्ध नहीं है। इसके लिए पिछले दिनों केंद्र कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है। वहीं वर्तमान पेट्रोल-डीजल की किल्लत है। जबकि खेत जोतने के लिए इसकी बड़ी आवश्यकता होगी।
वर्जन
केंद्र सरकार से 100 फीसदी नए बारदानों में खरीदी की अनुमति मांगी है। यदि बारदाना का संकट आता है, तो अन्य विकल्प पर विचार किया जाएगा।

मनोज कुमार सोनी, विशेष सचिव, खाद्य विभाग
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