धान खरीदी की तैयारियों को लेकर 25 जून को मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक होगी। इसमें धान खरीदी की नीति, बारदानों और धान खरीदी के केंद्रों आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा होगी। इससे पहले 11 जून को एक दौर की बैठक खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्ष में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो चुकी हैं।
यदि केंद्र सरकार पर्याप्त बारदाने नहीं देता है, तो किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है। दरअसल, बारदानों की कमी को देखते हुए पिछले दो सालों से किसानों के बारदाने में धान बेचने की अनुमति दी गई है। किसानों के बारदानों की एवज में राज्य सरकार 25 रुपए का भुगतान कर रही है। जबकि बाजार में इसकी कीमत 35 रुपए के आसपास रहती है।
मौजूदा हालात को देखते हुए खेती-किसानी के लिए किसानों को जूझना पड़ सकता है। मानसून सक्रिय होते ही बहुत से जिलों में बोआई शुरू हो गई है, लेकिन राज्य सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में रासायनिक खाद उपलब्ध नहीं है। इसके लिए पिछले दिनों केंद्र कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा है। वहीं वर्तमान पेट्रोल-डीजल की किल्लत है। जबकि खेत जोतने के लिए इसकी बड़ी आवश्यकता होगी।
केंद्र सरकार से 100 फीसदी नए बारदानों में खरीदी की अनुमति मांगी है। यदि बारदाना का संकट आता है, तो अन्य विकल्प पर विचार किया जाएगा। मनोज कुमार सोनी, विशेष सचिव, खाद्य विभाग