पीडि़तों ने थाने में शिकायत की। पुलिस ने धोखाधड़ी का अपराध दर्ज कर लिया है। संजय की मौत हो चुकी है। इस कारण पुलिस ने कंपनी के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। कंपनी के सदस्यों की उस समय की जिम्मेदारियों की जांच की जा रही है।
पुलिस के मुताबिक तेलघानीनाका आजाद चौक के पास रहने वाले सुमीत जैन ने अपनी कंपनी एसआरजीआर के नाम पर वर्ष 2013 में संजय वाजपेयी बिल्डर से ग्राम डूंडा में दो प्लाट खरीदा। प्लाट खसरा नंबर 499/1 और 499/2 का सौदा कुल 1 करोड़ 49 लाख रुपए में किया। सौदा कंपनी के डॉयरेक्टर संजय वापजेयी ने किया था। सुमीत ने पूरा भुगतान कर दिया।
इसके बाद संजय ने उस जमीन का सुमीत के साथ रजिस्टर्ड इकरारनामा किया। और रजिस्ट्री कराने के लिए कुछ समय का मोहलत लिया। तय समय बाद भी उस जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराई गई। सुमीत ने संजय से रजिस्ट्री कराने के लिए कहा, तो वे टालमटोल करने लगे। इसके बाद उस जमीन को संजय ने किसी और को बेच दिया। इसकी जानकारी होने पर सुमीत ने संजय से संपर्क किया। संजय ने उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें जमीन मिल जाएगी। स्वागत विहार की जमीन में विवाद खत्म होने के बाद। इससे सुमीत बेफिक्र हो गया। लेकिन इस बीच संजय की मौत हो गई।
मौत के बाद कंपनी की दूसरी डॉयरेक्टर संजय की पत्नी सरिता वाजपेयी से पीडि़त ने संपर्क किया। वहां से भी न जमीन दी गई और न ही पैसा वापस किया गया। इसके बाद पीडि़त ने सिविल लाइन थाने में शिकायत की। पुलिस ने मामले की जांच के बाद कंपनी के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है।
पुलिस अब यह करेगी
संजय की मौत हो चुकी है और वर्तमान में कंपनी की मालिक उनकी पत्नी सरिता हैं। इस मामले में पुलिस ने कंपनी संजय वाजपेयी बिल्डर के खिलाफ एफआईआर किया है। पुलिस इसमें यह जांच करेगी कि जिस समय सुमीत से जमीन को सौदा हुआ था, उस समय कंपनी में संजय के अलावा सरिता या अन्य लोगों की क्या भूमिका थी? और उनकी जिम्मेदारी व शेयर कितना फीसदी था?
चार और शिकायतें
संजय वाजपेयी बिल्डर के खिलाफ सुमीत के अलावा चार अन्य लोगों ने अलग-अलग थानों में शिकायत की। फिलहाल केवल सिविल लाइन पुलिस ने अपराध दर्ज किया है। बाकी शिकायतें अन्य थानों में भेज दिया गया है। जांच के बाद पुलिस उन मामलों में भी एफआईआर दर्ज कर सकती है। उन्हें भी स्वागत विहार प्रोजेक्ट के तहत डूंडा, सेजबहार आदि स्थानों में प्लाट देने का सौदा किया गया है।
करोड़ों की ठगी, नतीजा शून्य
संजय वाजपेयी बिल्डर के डॉयरेक्टर संजय वाजपेयी ने स्वागत विहार प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रुपए को घोटाला किया था। कंपनी ने निजी जमीन की आड़ में सरकारी जमीन को भी प्लाट काटकर कई लोगों को बेच दिया। प्रोजेक्ट के तहत 3 हजार लोगों ने प्लाट और मकान खरीदा था।
इस मामले की जांच जिला प्रशासन और पुलिस ने किया, लेकिन नतीजा शून्य आया। अभी तक घोटाले में शामिल शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों और प्लाट बेचने वाले कंपनी के मालिकों और शेयर होल्डरों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इससे पीडि़तों को भी न्याया नहीं मिला है। न तो उन्हें जमीन मिली है और न ही उनका पैसा वापस किया गया है।