ऑनलाइन ठगी करने वाले पहले बैंकों में फर्जी नाम पते और दस्तावेजों के जरिए अपना एकाउंट खोलते हैं। फिर इन्हीं खातों में ठगी का पैसा ट्रांसफर करते हैं। पुलिस जब ठग की तलाश में खाते की जांच करती है और उसमें दिए नाम और पते पर पहुंचती है, तो वहां उस नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिलता। और न ही उस पते पर संबंधित खाताधारक रहता है। कई बार तो फोटो भी किसी दूसरे का लगाकर रहते हैं। खाता खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज वोटर आईडी, राशन कार्ड और यहां तक कि आधार कार्ड भी फर्जी निकलते हैं।
बैंक खाता खुलने के कारण ही ठगी करने वालों का हौसला बढ़ता है और फिर वे आसानी से धोखाधड़ी कर रहे हैं। ऑनलाइन ठगी के 90 फीसदी प्रकरण में इसी तरह के बैंक खातों का इस्तेमाल हो रहा है। पुलिस की जांच में इसका खुलासा हुआ है।
सहारा इंडिया के कैशियर प्रदीप से भी करीब साढ़े तीन करोड़ की ऑनलाइन ठगी हुई थी। उनके पैसे भी ठगों ने अलग-अलग खातों में जमा करवाकर निकाला था। उनके खाताधारकों के भी नाम-पते अलग-अलग थे।
रायपुर एसएसपी आरिफ शेख ने बताया कि ऑनलाइन ठगी का बड़ा कारण फर्जी बैंक खाते हैं। इस तरह के खातों पर रोक लगनी चाहिए। बैंकों को पत्र लिखा जा रहा है। आम लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है।