लोगों के मास्क न पहनने के पीछे के तर्क सुनिए, कहीं आप भी ऐसा नहीं करते-
३२.६ प्रतिशत- पैसों की कमी १८.७ प्रतिशत- कोई लक्षण नहीं
१६ प्रतिशत- सांस लेने में परेशानी ५.२ प्रतिशत- गुटखा थूकने में दिक्कत
४.७ प्रतिशत- बात करने में दिक्कत
४.३ प्रतिशत- भूल जाना ३.० प्रतिशत- स्मोकिंग में दिक्कत
२.१ प्रतिशत- हम पॉजिटिव नहीं है १.८ प्रतिशत- मास्क से बचाव संभव नहीं
०.८ प्रतिशत- नाक में खुजली होना मास्क का उपयोग कैसे बढ़े, इसके सुझाव-
मुफ्त मास्क वितरण: व्यक्ति प्रयास कर रहे हैं कि मास्क पहनने उनके पास गुणवत्तायुक्त मास्क नहीं होता। पाबंधियों के कारण मास्क पहनते हैं, मगर उसकी गुणवत्ता खराब होती है। इससे उनका दम घुटता है। वे गमछे, टॉवेल का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए जरुरतमंदों को मास्क दिए जाएं।
पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण: यह स्पष्ट है कि कोरोना वायरस गांवों तक पहुंच चुका है। मास्क के प्रति पंचायत प्रतिनिधियों को संवेदनशील करना आवश्यक है। पंचायत स्तर पर जागरूक कैडर्स बनाए जा सकते हैं।
‘पत्रिका’ ने हफ्तेभर पहले ‘मास्क है तो टेंशन नहीं’ अभियान की शुरुआत की। जिसमें विशेषज्ञों के जरिए मास्क का महत्व समझाया जा रहा है। वे अपने अनुभव भी साझा कर रहे हैं। रिपोर्ट में इसी नाम से अभियान चलाने का सुझाव दिया गया है। जो सोशल मीडिया, ई-संचार और अन्य तकनीक के माध्यम से आयोजित किया जा सकता है। इसमें सेल्फी विथ मास्क फेसबुक, बेबीनार, लाउड स्पीकर से घोषणाएं, मास्क नहीं पहनने वालों की फोटो सार्वजनिक करने जैसे सुझाव दिए हैं। अन्य संगठनों को भी इसका हिस्सा बनाने की बता कही गई है।
डॉ. कमलेश जैन, सदस्य फीडबैक वर्टिकल, कोरोना कंट्रोल एंड कमांड सेंटर एवं प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज रायपुर