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देश की इकलौती और शक्तिशाली देवी देवी, जिन्हें सशस्त्र गार्ड हर्ष फायर से देते हैं सलामी

locationरायपुरPublished: Sep 28, 2022 10:20:04 am

Submitted by:

Sakshi Dewangan

Navratri 2022: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में विराजीं बस्तर आराध्या देवी माँ दंतेश्वरी संभवतः देश की इकलौती देवी हैं, जिन्हें मन्दिर से निकलते और वापसी के समय सशस्त्र जवान हर्ष फायर कर सलामी देते हैं। बस्तर दशहरा जगदलपुर व फागुन मेला दंतेवाड़ा के लिए देवी मंदिर से निकलती हैं।

Navratri 2022: दंतेवाड़ा. देश के 52 वें शक्तिपीठ के रूप में विख्यात दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर में देवी षट्भुजी मां तारिणी स्वरूप में विराजित हैं। यह बात बहुत कम दर्शनार्थियों को पता है। शंख, खड़ग, त्रिशूल, घंटी, पद्म धारण किए हुए देवी को बस्तर आराध्या देवी की मान्यता है। यही वजह है कि जगदलपुर में आयोजित होने वाले विश्व विख्यात बस्तर दशहरा पर्व में शामिल होने का आमंत्रण देने बस्तर राज परिवार स्वयं यहां पहुंचता है।

मावली माता के साथ देवी दंतेश्वरी की डोली नवरात्र की अष्टमी पर यहां से रवाना होती है, उसके बाद जगदलपुर पहुंचने पर मावली परघाव की रस्म में भव्य स्वागत किया जाता है। देवी का छत्र काष्ठ रथ पर रथारूढ़ कर परिक्रमा कराई जाती है। इसके बाद माता दंतेश्वरी व माता मावली बस्तर महाराजा के साथ नवाखाई की रस्म में शामिल होकर दंतेवाड़ा लौटती हैं।

एक दिन पहले होता है पूजन : दंतेश्वरी मंदिर में रक्षा बंधन हो या पोला पिठौरा, नवाखानी की रस्म, जन सामान्य में प्रचलित तिथि से एक दिन पहले यहां पर पूजा अर्चना होती है, ताकि देवी को अर्पण के बाद ही अगले दिन आम जन पर्व मना सकें।

देवी को सलामी देने की प्रथा रिसासत काल से
सबसे खास बात यह है कि देवी दंतेश्वरी की डोली जब भी मंदिर से बाहर निकलती है। 1-4 के सशस्त्र गार्ड उनके सम्मान में सलामी देते हैं और हर्ष फायर करते हैं। यह प्रक्रिया रास्ते भर जगह-जगह अपनाई जाती है। मंदिर में प्रवेश से पहले भी द्वार पर हर्ष फायर कर सलामी देने की परंपरा है। संभवत पूरे छत्तीसगढ़ में यह इकलौती ऐसी देवी हैं, जिन्हें हर्ष फायर से पुलिस के जवान सलामी देते हैं। रियासत काल से यह परंपरा चली आ रही है, जिसका निर्वहन जारी है। ऐतिहासिक फागुन मेला, बसंत पंचमी और बस्तर दशहरा पर्व में रवानगी व वापसी के दौरान यह परंपरा देखी जा सकती है।

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