दावे के मुताबिक ऐसे हुआ घोटाला
गोपाल राय ने बताया, वर्ष 2010 में एक किसान बैजनाथ से 4 लोगों ने मिलकर 3.67 एकड़ कृषि भूमि की खरीदी। वर्ष 2011 में इन चारों ने कलक्टर ओपी चौधरी से उनकी निजी भूमि को जिला पंचायत परिसर में शामिल करने का प्रस्ताव दिया। मार्च 2013 में राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, पटवारी और एसडीएम ने मिलकर सिर्फ 15 दिन के भीतर ही इन चारों की निजी जमीन के बदले में सरकारी भूमि देने की प्रक्रिया पूरी कर डाली। एक दिन के भीतर जमीन बेचने की परमिशन और नामांतरण संबंधी प्रक्रिया पूरी कर ली गई। जिस जमीन को बैजनाथ से 10 लाख रुपए में खरीदा था उसे यह लोग 25 लाख रुपए में बेचने में सफल हो गए। उसके बदले में दंतेवाड़ा के बस स्टैंड के पास व्यावसायिक भूमि के साथ 2 अन्य स्थानों पर 5.67 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक पाने में भी सफल रहे।