इस दौरान किसी मकान में ताला लगा दिखता है, तो वहां घुस जाते हैं। और चोरी का माल लेकर आसानी से निकल जाते हैं। विधानसभा और पुरानीबस्ती चोरी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी तरह अन्य चोरियां भी हैं, जिसमें पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज तो हैं, लेकिन आरोपियों का पता नहीं लग रहा।
600 से ज्यादा चोरियां
शहर में पिछले चार माह में 600 से ज्यादा छोटी-बड़ी चोरियां हुई हैं। इनमें वाहन चोरी के मामले भी शामिल हैं। चोरी के मामले उरला, खमतराई, कबीर नगर, गुढ़ियारी, सिविल लाइन, टिकरापारा, विधानसभा आदि इलाकों में ज्यादा है। 10 लाख से ज्यादा की चोरी विधानसभा, धरसींवा, कबीर नगर, पुरानीबस्ती, आमानाका में है।
इन राज्यों से ज्यादा आ रहे चोर
ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, यूपी, बिहार, नोयडा, हरियाणा से ज्यादा चोरी व लूट करने वाले गिरोह आने लगे हैं। चोरी और लूट के अलावा उठाईगिरी व ठगी करने के मामले में भी यहीं के गिरोह ज्यादा सक्रिय है।
केस-1
11 मई को पुरानी बस्ती निवासी सतीश सिंह ठाकुर के घर अज्ञात चोरों ने धावा बोला। ताला तोड़कर नगदी रकम, सोने-चांदी के जेवर व जरूरी दस्तावेज सहित लाखों का माल लेकर फरार हो गए। पुलिस को आरोपियों का कई जगह सीसीटीवी फुटेज भी मिला है। इसके बाद भी उनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।
केस-2
विधानसभा के रहेजा ग्रीन निवासी ठेकेदार रामलखन शर्मा अपने परिवार सहित ग्वालियर गए थे। 24 अप्रैल को अज्ञात चोरों ने उनके घर में प्रवेश किया और लाखों रुपए के गहने व नगदी लेकर फरार हो गए। चोरी करते हुए तीन युवक सीसीटीवी फुटेज में कैद हुए। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की, लेकिन आरोपियों का कुछ पता नहीं चल पाया है।
फुटेज आने के बाद भी पकड़ना मुश्किल
अगर बाहर का चोर गिरोह होता है, तो उसकी फुटेज आने के बाद भी उसे पकड़ना मुश्किल होता है। इसकी बड़ी वजह उसकी पहचान नहीं होना है। लोकल चोर होते हैं, तो उनकी पहचान हो जाती है। और पुलिस उन्हें उठा लेती है। बाहर वालों को पहचानकर उन तक पहुंचना काफी मुश्किल होता है। यही वजह है कि ऐसे चोरों को पकड़ना पुलिस के लिए बहुत कठिन होता है।
टीआई गिरीश तिवारी ने कहा चोरी के मामलों की लगातार जांच की जा रही है। चोरों की पहचान नहीं होने की वजह से उन तक पहुंचना मुश्किल होता है। हालांकि पुलिस तकनीकी जांच के जरिए भी आरोपियों की पहचान करने में लगी है।