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छत्तीसगढ़ की 45 तहसीलों में धान की फसल बरबाद, खेतों में किसान छोड़ रहे मवेशी

locationरायपुरPublished: Sep 10, 2017 12:41:00 pm

कम बारिश की वजह से प्रदेश के 13 जिलों की 45 तहसीलों में धान की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है।

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रायपुर. कम बारिश की वजह से प्रदेश के 13 जिलों की 45 तहसीलों में धान की फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। सूखे खेतों में दरारें दिखाई देने लगी है। किसान अब फसल की उम्मीद छोड़ उसे पशुओं के हवाले करने लगे हैं। एेसे में अब किसानों की सारी उम्मीद सरकार की राहत पर टिकी हुई है। 12 सितम्बर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में बड़े फैसले की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इस बार भी सरकार सूखाग्रस्त तहसीलों में लगान व अन्य सरकारी व्ययों की वसूली पर रोक लगा सकती है। वर्ष 2015 में पड़े सूखे के बाद सरकार ने 117 तहसील को एेसी ही राहत दी थी।
इस स्थिति में तहसीलों को माना जाएगा सूखाग्रस्त
आपदा प्रबन्धन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार आनावारी रिपोर्ट के आधार पर ही तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किए जाने का प्रावधान है। किसी तहसील की 25 फीसदी गांवों की आनावारी 37 पैसे से कम होने पर पूरी तहसील को सूखाग्रस्त माना जाएगा। 37 पैसे से कम आनावारी वाले गांवों के समूह को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है।
इस दिशा में पहल होने पर किसानों को होगा फायदा

सूखे से निपटने के लिए आकस्मिक कार्य योजना तैयार हो। वर्तमान स्थिति का नजरी आंकलन हो। जिला जल उपयोगिता समिति के माध्मय से जलाशयों में जल भराव की समीक्षा होगा कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को डीजल पंप, विद्युत पंप और ट्यूबवेल देने का प्रयास हो। वैकल्पिक फसल के लिए योजना बनाकर खाद-बीजों की व्यवस्था की जाए नदी और नालों का पानी *****्थायी तौर पर रोकने की व्यवस्था। किसानों के रोजगारमूलक कार्य जल्द शुरू हो। पलायन रोकने मनरेगा के कामों की संख्या में वृद्धि हो।
बीमा और आपदा राशि से मिलेगी राहत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 37.46 लाख कृषक परिवार है। इनमें से 12 लाख 44 हजार 629 परिवार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में है। एेसे में 35 पैसा आनावरी रिपोर्ट आती है, तो बीमित किसानों को करीब 30 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीमा राशि मिलने की संभावना है। जिनका बीमा नहीं उन्हें आपदा राहत कोष से फसल बीमा की राशि दी जाएगी। इस स्थिति में सूखाग्रस्त क्षेत्र के किसानों को 13 हजार 800 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से राशि मिल सकती है।
21 को करेंगे सीएम हाउस का घेराव
किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश के 25 किसान संगठन एकजुट होकर २१ सितम्बर को सीएम हाउस का घेराव करेंगे। यह फैसला शनिवार को किसान संगठनों की संयुक्त बैठक में लिया गया है। ये संगठन किसानों को 300 रुपए बोनस और 21 सौ रुपए समर्थन मूल्य, 5 एचपी तक सिंचाई पंप को नि:शुल्क बिजली, कर्ज की माफी, स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने सहित अन्य मांग शामिल हैं।
– वर्ष 2016 में सरगुजा संभाग ओला वृष्टि की चपेट में आ गया था।
– वर्ष 2016 में ही जुलाई में सूखे के हालात थे, लेकिन सितम्बर में वर्षा होने से कुछ राहत मिली थी।
– वर्ष 2015 में 20 जिलों की 117 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था।
– वर्ष 2014 में प्रदेश के कुछ जिलों में बाढ़ के हालात बने थे।
– वर्ष 2011 में प्रदेश के 4 जिलों की 14 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था।
– वर्ष 2010 में सरगुजा संभाग की तहसीलों में सूखे की स्थिति निर्मित हुई थी। सरकार को मदद करने के लिए निर्वाचन आयोग से अनुमति लेनी पड़ी थी।
– वर्ष 2009 प्रदेश के कुछ जिलों में अल्प वर्षा और खण्ड वर्षा के हालात बने थे।
पिछले तीन सालों से प्रदेश में अनियमित वर्षा की स्थिति बनी है। इसे लेकर सरकार ने अब तक कोई गंभीर कार्ययोजना नहीं बनाई है। किसान भगवान भरोसे हैं। जबकि सरकार को कम पानी वाले दलहन, तिलहन और कपास की फसलों को बढ़ावा देना चाहिए।
डॉ. संकेत ठाकुर, किसान नेता
सूखे को लेकर कलक्टर और राजस्व विभाग की अलग-अलग रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। रिपोर्ट के आधार पर सूखा और राहत की घोषणा की जाएगी। बीमा और आपदा प्रबंधन की मद से किसानों को राहत दिलाई जाएगी।
पूनम चंद्राकर, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा किसान मोर्चा
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