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समर्थन मूल्य पर धान कैसे बेचेंगे किसान, भुइयां पोर्टल से जानकारी गायब

locationरायपुरPublished: Oct 30, 2020 01:11:42 am

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CG Desk

– 1 लाख 29 हजार 693 नए किसान भी शामिल हैं। इसमें 16 लाख 662 किसानों का पंजीयन निरस्त भी हुआ है। अभी तक 3 लाख 50 हजार से ज्यादा किसानों का पंजीयन नहीं हो पया है।

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रायपुर। राज्य शासन ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए किसानों का 31 अक्टूबर तक पंजीयन करना तय कर रखा है। भुईंया पोर्टल में गड़बड़ी के कारण 16 हजार किसानों की पंजीयन निरस्त हो गया है। साथ साढ़े तीन लाख किसानों का पंजीयन तीन दिन में करना बचा है। 1289 सहकारी समितियों में 19 लाख 55 हजार 230 किसानों में से 16 लाख 73 हजार 735 किसानों का ही पंजीयन हो पाया है।
इसमें 1 लाख 29 हजार 693 नए किसान भी शामिल हैं। इसमें 16 लाख 662 किसानों का पंजीयन निरस्त भी हुआ है। अभी तक 3 लाख 50 हजार से ज्यादा किसानों का पंजीयन नहीं हो पया है। सहकारी समितियों व तहसील कार्यालय एवं पटवारियों के पास किसानों का बी-1 खसरा निकालने दौड़ भाग चल रही है। इसके साथ ही किसान आनलाइन भूईंया पोर्टल में शामिल खसरा के आधार पर खरीदी किए जाने की जानकारी मिलने पर स्वत: विलोपित हो रहे हैं। खसरा सुधार कराने बार-बार किसानों को पटवारियों के पास दौडऩा पड़ रहा हैं। जिनको पटवारी बंधक भूमि में किसी भी प्रकार की सुधार कर पाने में अपनी असमर्थता जाहिर कर केसीसी या अन्य किसी भी प्रकार की ऋण चुकता कर बैंक बंधक छुड़वाने पर ही सुधार हो पाने की जानकारी किसानों को दे रहे हैं।
पटवारी भी परेशासन
पटवारी भुईंया में सुधार करने के बाद पोर्टल से स्वत: विलोपित हो रहे डाटा एवं अन्य गड़बडिय़ों को अधिकारियों के संज्ञान में लाने के बाद भी पोर्टल की खामियों को सुधार कराने का कोई कारगर प्रयास न होने को लेकर चिंतित हैं।
पुराने किसानों को यह समस्या
यही हालात रहे तो हजारों किसान जिनका पंजीयन विगत वर्ष सहकारी समितियों में हुआ है और वर्तमान में पोर्टल से कई खसरा गायब है। उतने रकबा का धान सुधार नहीं हो पाने की स्थिति में धान बेच नहीं पाएंगे।
नए किसान भी परेशान
नए किसान जो इस खरीफ सीजन की उपज को विक्रय करने पंजीयन कराने की तैयारी में लगे हैं। उनकी जमीन के पट्टा में शामिल पूरे खसरा का बी-1 न निकल पाने से पंजीयन से वंचित हो जाएंगे। सोसायटी के पंजीयन साफ्टवेयर में वही रिकार्ड दर्शित हो रहे हैं, जितनी जमीन का रिकार्ड भुईंया पोर्टल में दर्ज है। ऐसे यदि पटवारी सत्यापन करके देता भी है। तो सहकारी समिति उतने रकबा का ही पंजीयन कर पांयेगी, जितीन भूमि रकबा भुईंया पोर्टल में दिखाई देगा। फिर चाहे किसान के पास वास्तविक में जितना भी जमीन हो।
पोर्टल में यह आ रही समस्या
– खसरों का अपने आप ही दूसरे बसरे में शामिल हो जाना जिससे भूमिस्वामी विहीन खसरे बसरे स्वत: निर्मित हो जा रहे हैं।

– खसरे का बटांकन होने पर नया बटा नंबर में 0 आ जा रहा है।
– बटांकन किये गये खसरे का पुन: वापस मूल खसरा नंबर बन जाना।
– पटवारी आईडी से बंधक खसरे का नामांतरण या बसरा संशोधन एवं विलोपन नहीं होना।
– जाति के ऑप्शन में चन्द्रनाहू, सौंरा, पनिका माली सहित कई जातियों के नाम न आना।

– पोर्टल प्रदर्शित ग्राम एवं वास्तविक ग्राम के नाम में अंतर होना।
– खसरा, बी-1 रिपोर्ट में राजस्व मंडल के सभी नामों का न प्रदर्शित होना।
– भूमि का मद स्वत: परिवर्तित हो जाना।
– कई खसरा नंबरों का स्वत: ही शामिल खसरा के रूप में दिखना

– खसरा नंबरों के बटांकन के बाद भी मूल खसरा नंबर का विलोपित न होना।
– खसरा नबरों के बटांकन एवं विलोपन का विकल्प एक साथ एक ही बार में करना।
– बिना प्रशिक्षित किये पटवारियों को आनलाइन काम करवाना।

फसल कट रही है। इस समय जानबूझकर भुईंया में गड़बड़ी कर किसानों को परेशान किया जा रहा है। जिससे कम से कम किसानों से घान खरीदी की जा सके।
संकेत ठाकुर, कृषि वैज्ञानिक, रायपुर
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