जानकारों की माने तो 200 लीटर पानी,10 लीटर गोमूत्र, 3 किलो नीम की पत्ती, 2 किलो पपीता की पत्ती, 2 किलो अमरुद की पत्ती, करंज की पत्ती 2 किलो, इन सभी को मिलाकर मिश्रण को उबाला जाएगा। इसके बाद छानकर बेचा जाएगा। इस पानी का छिडक़ाव करने से फसल के रोग व कीट नष्ट होंगे। यहां बताना लाजमी होगा कि 6 लीटर कीट नियंत्रक को 200 लीटर पानी में मिलाकर 10 से 15 दिन के अंतराल में फसल में छिडक़ाव करना है।
ऐसा तैयार होगा जीवामृत
10 लीटर गोमूत्र में 200 लीटर पानी,10 किलो गोबर, एक किलो बेसन, एक किलो गुड़ और 250 ग्राम मिट्टी, इसके बाद 48 घंटे छांव में सुखाया जाता है। वही सूखकर बने इस जीवामृत को किसान 5 दिनों तक उपयोग कर सकेंगे। वहीं, देवभोग के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी जागेश्वर नाग ने बताया कि किसान प्रति एकड़ 200 लीटर जीवामृत को 15 से 20 दिनों के अंतराल में फसल में 5 से 6 बार डाल पाएंगे।
किसानों को होगा फायदा
देवभोग के वरिष्ठ क़ृषि विस्तार अधिकारी जागेश्वर नाग ने बताया कि गोमूत्र से तैयार होने वाला जीवामृत और ब्रह्मास्त्र सभी फसलों के लिए बहुत कारगर सिद्ध होगा। यदि किसी फसल में फंगस लगा होगा तो जीवामृत के प्रयोग से वह फंगस दूर हो जाएगा। इतना ही नहीं, इससे बीज का भी उपचार होगा।् वहीं ब्रह्मास्त्र जैविक कीटनाशक के रूप में कार्य करेगा। इससे पौधों में लगे कीटए व्याधि सभी तरह के रोग दूर होंगे। वरिष्ठ क़ृषि विस्तार अधिकारी ने ब्रह्मास्त्र और जीवामृत के फायदे गिनवाते हुए बताया कि इससे पर्यावरण संतुलित होगा, मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ेगा और उत्पादन भी बढ़ेगा। क़ृषि अधिकारी ने कहा कि आज कई तरह के रासायनिक दवाइयों के चलते उत्पादन लागत भी बढ़ रहा है। वहीं, इन दोनों के प्रयोग से उत्पादन लागत में भी कमी आएगी और किसानों को फायदा भी होगा।