scriptपानी के करलई | pani ke kami ke sete gaw-gaw, para-para me dharga-ldaee howat he | Patrika News

पानी के करलई

locationरायपुरPublished: May 23, 2022 04:48:38 pm

Submitted by:

Gulal Verma

गांव म पानी के अतका करलई। हमर सहर म पानी बर झगरा होथे। पानी के टैंकर आथे तहाने युद्ध कस मात जाथे। रतिया पानी टंकी ल भर के राखथान त पानी चोरहामन अब पानी तको ल चोरा के लेग जाथे। सहर के लोगनमन पानी ल घलो अब तारा कूची म राखत हे। का दिन आ गे भगवान।

पानी के करलई

पानी के करलई

दाई ह तीन-तीन ठी हडिय़ामन ल बोहे डगमग-डगमग आवत रहय। मेहा लकर-धकर जाके हडिय़ामन ल वोखर मुड़ ले उतारेंव अउ कहेंव -ते काबर पानी भरे बर गे रहे दाई> उहु ये उमर म। तीन-तीन ठी हडिय़ा ल तोला बोहे के का जरूरत हे? दाई ह ह॥रत बैठिस त छोटकी बहिनी ह वोला पानी पियाइस। थोकन सुरताइस तहाने कहिस- इसे करंव बेटी इहां हमर गांव म पानी के बड़ करलई हे। मेहा दू बच्छर म गांव आए रहेंव। इहां के हालचाल ल सुने नइ रहेंव। मेहा कहेंव- दाई मेहा तो कब के कहत हंव कोला म बोरिंग खोदवा डारव।
मोर गोठ ल सुन के बाबू कहिस- कोला म बोरिंग खोदवाये के बड़ कोसिस करेंन बेटी, फेर पांच सौ फीट म घलो पानी नइ ओगरिस। त का करतेंन। गांव के तरिया, नादिया, कुआंमन जम्मो अटागे हे। गांव म एक दूठी बोरिंगमन चलत हे। फेर, पानी के नाव म इहां रात-दिन झगरा-लरई होवत रहिथे। तोर दाई ह डोंगरी तीर के झरिया ले पानी लानिस हे।
मेहा ये सब सुनके अकबका गेंव। गांव म पानी के अतका करलई। हमर सहर म पानी बर झगरा होथे। पानी के टैंकर आथे तहाने युद्ध कस मात जाथे। रतिया पानी टंकी ल भर के राखथान त पानी चोरहामन अब पानी तको ल चोरा के लेग जाथे। सहर के लोगनमन पानी ल घलो अब तारा कूची म राखत हे। का दिन आ गे भगवान। हमर पानी ल कोन चोरा के लेगे ओ दाई।मोर गोठ ल सुनके दाई ह कहिस- हमर पानी ल कोनो नइ चोराये हे बेटी। हमीमन पानी के बिनास ल करत हंन। हमन अपन परयावरन अउ परकरीति के रक्छा करे रहितेन त आज ये दिन नइ देखतेंन। आज एक लीटर पानी ह पचास ले सौ रुपया म बेचाथे।
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भइया-भउजी के मया
हा उही बेरा के गोठ आय, जेन बेरा म भइया ह दाई-ददा ल पूछे बताय बिना अपन मन ले भउजी संग बिहाव कर लिस। भइया अउ भउजी म बड़ मया रहिस। दूनों के मया ल देख के दाई -ददा ह बहू ल अपना लिस। भइया अउ भउजी बड़ खुस रहाय। दूनोंझन खेत -खार संग म जाय। भउजी के एकझन लइका घलो आ गे।
भइया-भउजी के बिहाव ल होय पांच बछर होगे। पहली बेर भइया ह कोन जनि का गोठ बर भउजी ल खिसियाय लागिस। भउजी घलो पलट के कहिस- दिनभर मोबाइल ल कोचकत रथस, लइका ल घलो नइ धरस। बुता करत-करत मंझन हो जथे। दूनोंझन म अनबन हो जाथे। एक-दूसर ल खिसियाय लागिस। वो दिन ले दूनोंझन म झगरा होय लागिस। खिसियात-खिसियात भइया ह भउजी ल कहि दिस मोला तोर ऊपर भरोसा नइये। तंय मया म मोला धोखा दे देस। अउ भइया ह भउजी के चरित म संदेह करे लागिस। भउजी ह भइया के गोठ म उदास होंगे अउ डोरी ल धर के निकलगे। लइका ह दाई ल जावत देख के पाछू-पाछू चल दिस। लइका के मया ल देख के महतारी ह डोरी ल फेंक दिस अउ जिनगी के नइया म उदासी ल बीच मजधार म बोहा दिस। लइका संग घर आ गे।
ऐती दाई ह भइया ल समझाइस अउ कहिस, घरवाला-घरवाली (पति-पत्नी) के नाता ह एक गाड़ी के दू चक्का असन आय। एकठन चक्का ह डगमगा जाथे त दूसर चक्का ह वोला संभाल लेथे अउ कुछु हो जाथे त उही करा ले सफर ह छूट जथे। जिनगी के नैया ह कभु-कभु बूड जथे, फेर उही नैया ल उठाय बर जिनगानी म संघर्स करे बर परथे। दाई के समझाय ले भइया ह समझ जथे। भइया-भउजी ह अब पहली असन एक-दूसर ल मया करे ल लगथे।
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