रायपुर

पापाजी को प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाया था दिल्ली में सरकारी बंगला

छत्तीसगढ़ के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सांसद नहीं होने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में सरकारी बंगला दिलाया था। अजीत जोगी ने अपनी आत्मकथा में इस प्रसंग का जिक्र किया है। अमित जोगी ने लाकडाउन में लिखी गई अपने पिता की इस आत्मकथा का अंश साझा करते हुए ये जानकारी दी।

रायपुरJun 29, 2020 / 02:01 am

Dhal Singh

रायपुर. अजीत जोगी लिखते हैं, मैं इसे सौभाग्य मानता हूं कि जब मैं कांग्रेस का मुख्य प्रवक्ता था तो भाजपा के दो वरिष्ठ नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज भाजपा के मेरे समकालीन प्रवक्ता थे। उन दिनों टेलीविजन के चारों चैनलों पर हमारी जोरदार बहस हुआ करती थी। कई बार टेलीविजन स्टूडियो की भेजी कार में साथ आना पड़ता था। डिबेट के पहले और बाद हम लोगों में बड़े अंतरंग पारिवारिक संबंध बन गए थे। इसे मैं श्री नरेन्द्र मोदी का बड़प्पन मानता हूं कि प्रधानमंत्री बन जाने के बाद भी कभी मुझसे ये प्रेमसंबंध नहीं तोड़े।
2014 में जब वे प्रधानमंत्री बनें तो कांग्रेस पार्टी के बहुत से नेताओं को आवंटित शासकीय आवास स्वाभाविक वजहों से निरस्त किए गए। सबको अलग से अपनी व्यवस्था करनी पड़ी। कांग्रेस संगठन की जवाबदारियों की वजह से मेरा दिल्ली में रहना अनिवार्य था। स्थिति ऐसी नहीं थी कि मैं दिल्ली में महंगे किराये के मकान में रह सकूं। मेरे सौभाग्य और संयोग से उन्हीं दिनों संसद भवन की आउटर गैलरी में मैं अपनी व्हीलचेयर चलाता हुआ जा रहा था कि दूसरी ओर से तमाम सुरक्षा कवच से भरे हुए प्रधानमंत्री जी आ रहे थे। दूर से उन्हें देखकर सम्मान देने की दृष्टि से मैंने अपनी व्हीलचेयर अत्यंत किनारे कर उनके निकलने का इंतजार करने लगा। उनकी पैनी नजर दूर से ही मुझ पर पड़ गई और वे सुरक्षा कवच को चीरते हुए सीधे मेरे पास तक आए। मेरी व्हीलचेयर को दोनों हाथों से पकड़कर बड़े प्रेम से मेरा और मेरे परिवार का हालचाल पूछा। हम दोनों प्रवक्ताकाल से ही एक दूसरे को भाई साहब कहा करते थे। मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि उन्होंने भाई साहब कहकर ही मुझसे बातचीत की। न जाने क्यों मुझे लगा कि मैं आवास के बारे में अपनी कठिनाई उन्हें बताऊं। मेरे मुंह से निकल गया कि भाई साहब, आप प्रधानमंत्री बन गए हैं और मेरे जैसा व्यक्ति आपके होते हुए आवास के लिए दर-दर भटक रहा है। उनके बड़प्पन की पराकाष्ठा थी कि उन्होंने इस संबंध में मुझे कोई आश्वासन नहीं दिया। मुझे लगा कि वे टालकर चले गए। देर शाम मुझे उनके प्रमुख सचिव और सीनियर आईएएस नृपेंद्र मिश्र का फोन आया। उन्होंने मुझसे कहा कि प्रधानमंत्री जी ने उन्हें आदेशित किया है कि तत्काल नार्थ या साउथ एवेन्यू में मेरी सुविधानुसार आवास आवंटित किया जाए। स्वाभाविक रूप से अगले ही दिन मनचाहा आवास मिल गया और उसे खाली करने का नोटिस भी नहीं मिला।
प्रधानमंत्री के संदेश पर थी प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संदेश भेजकर अजीत जोगी को याद किया था। प्रधानमंत्री के शोक संदेश के साथ अमित जोगी ने पिता की आत्मकथा का अंश भी साझा किया। अमित जोगी ने बताया कि करीब दो लाख शब्दों की पांडुलिपि का संपादन जारी है। वे और उनकी मां डॉ. रेणु जोगी यह काम नियमित तौर पर कर रहे हैं। साथ ही उसका अंग्रेजी अनुवाद भी हो रहा है। तीन प्रकाशकों ने छापने का प्रस्ताव दिया है। उनकी कोशिश है, जल्दी ही आत्मकथा प्रकाशित हो जाए।

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